छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों को एक बड़ी सफलता मिली है। 28 नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है, जिनमें से 22 पर कुल 89 लाख रुपये का भारी इनाम घोषित था। इस समूह में 19 महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने राज्य सरकार की विकास-उन्मुख नीतियों और प्रभावी पुनर्वास कार्यक्रमों पर विश्वास जताते हुए मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है।
बस्तर पुलिस ने बताया कि नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ सरकार की ‘नियाद नेलनार’ (आपका अच्छा गांव) योजना के तहत लाए जा रहे विकास कार्यों से प्रेरित होकर यह कदम उठाया है। इस योजना का उद्देश्य दूरस्थ और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास को गति देना है। इसके अलावा, ‘पूना मार्घम’ नामक एक नई पहल भी शुरू की गई है, जो पूर्व माओवादियों को समाज में बेहतर ढंग से समाहित करने में मदद करती है।
आत्मसमर्पण करने वालों में चार नक्सली काफी महत्वपूर्ण थे, जिनमें ईस्ट बस्तर डिवीजन की मिलिट्री कंपनी नंबर 6 के सदस्य पांडे ध्रुव उर्फ दिनेश (33), दुले मांडवी उर्फ मुन्नी (26), छत्तीसगढ़ पोयाम (18), और पदनी ओयम (30) शामिल थे। इन चारों पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था।
इसके अतिरिक्त, एरिया कमेटी सदस्यों लखमू उमेंदी (20), सुकमा नुरेटी (25), सकीला कश्यप (35), शंभट्टी शोरी (35), चैते उर्फ राजिता (30) और बुधरा रवा (28) जैसे कई माओवादियों ने भी आत्मसमर्पण किया, जिन पर 5-5 लाख रुपये के इनाम थे।
आत्मसमर्पण के साथ ही, तीन नक्सलियों ने अपने हथियार भी सौंप दिए। पांडे ध्रुव उर्फ दिनेश ने एक SLR, लखमू उमेंदी ने एक INSAS राइफल और सुकमा नुरेटी ने एक .303 राइफल जमा कराई है।
सभी आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को राज्य की पुनर्वास नीति के तहत आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि वे एक नया और सुरक्षित जीवन शुरू कर सकें।
