बॉलीवुड के प्रतिष्ठित अभिनेता धर्मेंद्र, जिन्हें ‘ही-मैन’ के नाम से जाना जाता था, अब हमारे बीच नहीं रहे। 89 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। हालांकि धर्मेंद्र का जन्म पंजाब में हुआ था, लेकिन राजस्थान के बीकानेर से उनका जुड़ाव कई लोगों के लिए एक दिलचस्प पहलू है।
धर्मेंद्र का राजनीतिक करियर राजस्थान के बीकानेर से ही शुरू हुआ था। उन्होंने भाजपा के सांसद के तौर पर इस सीट का प्रतिनिधित्व किया और कांग्रेस के उम्मीदवार को करारी शिकस्त दी। लेकिन, सांसद के रूप में कार्यकाल पूरा करने के बाद, उन्होंने सक्रिय राजनीति से किनारा कर लिया और दोबारा चुनाव नहीं लड़ा।
**2004 में बीकानेर से बने सांसद**
साल 2004 में, धर्मेंद्र ने बीकानेर निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता रमेशवर लाल डूडी को एक बड़े अंतर से हराया। उनके बेटे, सनी और बॉबी देओल ने भी उनके लिए प्रचार अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया था, जिसने मतदाताओं को प्रभावित किया। नतीजतन, धर्मेंद्र ने पहली बार में ही 57,000 वोटों के भारी बहुमत से जीत दर्ज की।
सांसद बनने के बाद भी, धर्मेंद्र को अपने निर्वाचन क्षेत्र में जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा। चुनाव जीतने के लगभग एक साल बाद, बीकानेर में उनके ‘लापता’ होने के पोस्टर लगा दिए गए। यह तब हुआ जब धर्मेंद्र अपने संसदीय क्षेत्र में जनता के बीच कम दिखाई दिए। इस कथित दूरी के कारण स्थानीय लोगों में गुस्सा था, जिसके चलते ये पोस्टर लगाए गए थे।
**सुरसागर झील का जीर्णोद्धार: धर्मेंद्र का योगदान**
इस हंगामे के कुछ समय बाद, धर्मेंद्र ने अप्रत्याशित रूप से बीकानेर का दौरा किया। उन्होंने सुरक्षा घेरे से बाहर निकलकर सर्किट हाउस में लोगों की समस्याएं सुनीं। बीकानेर की ऐतिहासिक सुरसागर झील के जीर्णोद्धार में भी धर्मेंद्र ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से इस संबंध में चर्चा की और जब सरकारी बजट अपर्याप्त साबित हुआ, तो उन्होंने केंद्रीय सरकार से मदद की गुहार लगाई। हालांकि, अंतिम समय में सुरसागर झील के जीर्णोद्धार का श्रेय वसुंधरा राजे को मिला, लेकिन इस कार्य में धर्मेंद्र के प्रयास भी महत्वपूर्ण थे, भले ही उन्हें इसका पूरा श्रेय न मिला हो।
**राजनीति को अलविदा कहा**
धर्मेंद्र ने अपने राजनीतिक जीवन को सिर्फ एक कार्यकाल तक सीमित रखा। पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद, उन्होंने राजनीति को पूरी तरह से अलविदा कह दिया। 2009 में उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और मुंबई वापस लौट आए। आज, उनकी पत्नी हेमा मालिनी मथुरा से सांसद हैं और बेटे सनी देओल भी गुरदासपुर से सांसद रह चुके हैं।
बीकानेर से सांसद बनने के बाद, धर्मेंद्र ने कभी भी राजनीति में वापसी नहीं की। उन्होंने खुद कहा था कि राजनीति उनके लिए सही मंच नहीं है।
