पंजाब सरकार ने श्री आनंदपुर साहिब, तलवंडी साबो और अमृतसर के श्री हरिमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) के आस-पास के क्षेत्रों को पवित्र शहर के रूप में आधिकारिक तौर पर अधिसूचित किया है। इस नई व्यवस्था के लागू होने के साथ ही, इन पवित्र स्थलों के दायरे में शराब, मांसाहारी भोजन और तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर सख्त पाबंदी लगा दी गई है। यह अहम फैसला पंजाब विधानसभा के एक विशेष सत्र में लिया गया, जो गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत शताब्दी के उपलक्ष्य में श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित हुआ था।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पवित्र शहर का दर्जा मिलने से इन महत्वपूर्ण सिख तीर्थ स्थलों की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गरिमा का संरक्षण सुनिश्चित होगा। उन्होंने आगे बताया कि इन क्षेत्रों में स्वच्छता, रखरखाव और पर्यटन सुविधाओं को उन्नत बनाने के लिए एक विशेष विकास कोष की स्थापना की जाएगी। मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पंजाब में तीन प्रमुख सिख तख्त स्थित हैं, और उनके पवित्र क्षेत्रों को इस तरह की मान्यता देना राज्य के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।
इस निर्णय की सराहना राष्ट्रीय स्तर पर भी हुई है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस घोषणा को दुनिया भर के सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि नए नियमों के पूर्णतः लागू होने पर, इन पवित्र स्थलों पर नशीले पदार्थ और मांसाहार की अनुमति नहीं होगी। केजरीवाल ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “पंजाब के इतिहास में आज का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज होगा। गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस पर श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र में पारित यह ऐतिहासिक प्रस्ताव, न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि पंजाब की सांस्कृतिक धरोहर, इतिहास और आने वाली पीढ़ियों की आस्था को भी सुरक्षित रखेगा।”
इस विशेष सत्र में विपक्ष के नेता भी शामिल हुए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने सभी दलों से पंजाब की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में सहयोग करने की अपील की। यह पंजाब विधानसभा का एक ऐतिहासिक सत्र था, क्योंकि यह पहली बार राज्य की राजधानी चंडीगढ़ के बाहर, श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित किया गया था। इसी सत्र के दौरान, सरकार ने उस गांव कुकेवाल के विकास के लिए 50 लाख रुपये देने की भी घोषणा की, जहां गुरु तेग बहादुर ने लंबे समय तक निवास किया था। सरकार का लक्ष्य इन पहलों के माध्यम से सिख इतिहास से जुड़े सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को और मजबूत करना है।
