दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जारी टेस्ट श्रृंखला में टीम इंडिया का 30 साल पुराना घरेलू रिकॉर्ड टूटने के कगार पर है। गुवाहाटी में चल रहे दूसरे टेस्ट मैच में भारतीय बल्लेबाजों का लचर प्रदर्शन इस ऐतिहासिक लय को खतरे में डाल रहा है। चौथे इनिंग्स में एक मुश्किल पिच पर बल्लेबाजी करना भारतीय टीम के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी।
गुवाहाटी टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका मजबूत स्थिति में है और भारत काफी पीछे चल रहा है। श्रृंखला में बराबरी के लिए भारतीय टीम को किसी असाधारण प्रदर्शन की आवश्यकता होगी। इस श्रृंखला में भारतीय बल्लेबाजों ने लगातार निराश किया है, और अब बारसापारा स्टेडियम की चुनौतीपूर्ण पिच पर बड़े स्कोर का पीछा करना उनके लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा।
सीरीज में अब तक भारत के बल्लेबाजों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है, जिसके आंकड़े (189, 93, 201) दक्षिण अफ्रीका की पहली पारी के 489 रनों के सामने बौने साबित हो रहे हैं। भारतीय टीम को चौथे दिन एक विशाल लक्ष्य का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में, पिछले तीन दशकों से चली आ रही अपनी घरेलू अजेयता को बनाए रखने के लिए टीम को असाधारण खेल दिखाना होगा।
भारत का 30 साल का यह रिकॉर्ड इस मायने में खतरे में है कि अब तक कोई भी भारतीय बल्लेबाज व्यक्तिगत रूप से 100 रन का आंकड़ा पार नहीं कर सका है। यदि दूसरी पारी में भी कोई भारतीय बल्लेबाज शतक बनाने में नाकाम रहता है, तो यह 30 वर्षों में पहली बार होगा जब भारत ने अपनी धरती पर कोई टेस्ट सीरीज खेली हो और उसमें किसी भारतीय बल्लेबाज के बल्ले से शतक न निकला हो।
कुछ समय पहले ही भारत ने वेस्टइंडीज को आसानी से हराया था। पर किसे पता था कि दक्षिण अफ्रीका की टीम भारतीय सरजमीं पर इतना दबदबा बनाएगी और टीम इंडिया के बल्लेबाजों को इतना बेबस कर देगी।
क्या युवा पीढ़ी इस चुनौती को स्वीकार करेगी? सीनियर खिलाड़ियों के धीरे-धीरे टीम से अलग होने के बाद, भारतीय टेस्ट टीम इस समय थोड़ी कमजोर दिख रही है। शुभमन गिल का चोटिल होना इस स्थिति को और गंभीर बना रहा है। हालांकि, यह युवा भारतीय बल्लेबाजों के लिए एक बड़ा अवसर है कि वे गुवाहाटी की कठिन परिस्थितियों में अपना दम दिखाएं। यदि वे चौथी पारी में शतक जड़ते हैं, जिसे एशियाई पिचों पर मुश्किल माना जाता है, तो यह न केवल उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा, बल्कि टीम में उनकी जगह पक्की करने में भी अहम भूमिका निभाएगा। पर सवाल यह है कि क्या वे यह मुश्किल काम कर पाएंगे?
