हालिया रिपोर्टों के अनुसार, इजरायल पर गाजा में स्थापित अमेरिकी-मध्यस्थता वाले युद्धविराम समझौते का गंभीर उल्लंघन करने के आरोप लगे हैं। गाजा सरकार के मीडिया कार्यालय ने दावा किया है कि पिछले 44 दिनों में 497 बार युद्धविराम का उल्लंघन हुआ है, जिसमें 342 फिलिस्तीनी नागरिकों की जान गई है। हताहतों में ज्यादातर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल बताए जा रहे हैं।
**समझौते के बाद भी जारी रहे हमले**
10 अक्टूबर को लागू हुए युद्धविराम के बावजूद, इजरायली हवाई हमलों का सिलसिला जारी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ शनिवार को हुए हमलों में 24 फिलिस्तीनी मारे गए और 87 अन्य घायल हुए। गाजा के अधिकारियों ने इन “गंभीर और व्यवस्थित उल्लंघनों” की कड़ी निंदा की है और इसे अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों का सीधा उल्लंघन बताया है।
**सैकड़ों की मौत: इजरायल के दावों पर सवाल**
इजरायली प्रधानमंत्री कार्यालय ने इन हमलों को हमास के एक कथित हमले के जवाब में की गई कार्रवाई बताया है। उन्होंने दावा किया कि”येलो लाइन” के पार कथित हमले के बाद हमास के पांच शीर्ष लड़ाकों को मार गिराया गया। हालांकि, हमास ने इजरायल के इन दावों का खंडन किया है और सबूत पेश करने की मांग की है।
**हमास ने अमेरिका से हस्तक्षेप का आग्रह किया**
हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इजरायल समझौते से बचने और विनाशकारी कार्रवाई शुरू करने के लिए झूठे बहाने बना रहा है। उन्होंने मध्यस्थ देशों, विशेषकर अमेरिका, से आग्रह किया है कि वे इजरायल पर युद्धविराम का पालन करने के लिए दबाव डालें। हमास का कहना है कि वह युद्धविराम का पालन कर रहा है।
**उत्तरी गाजा में बिगड़ते हालात**
गाजा शहर से आ रही खबरों के अनुसार, युद्धविराम सिर्फ कागजों तक सीमित है। इजरायली हवाई हमले जारी हैं, जिससे निवासियों में भय का माहौल है। जानकारी के अनुसार, उत्तरी गाजा में कई परिवार इजरायली सैनिकों की बढ़ती घुसपैठ के कारण फंसे हुए हैं, जो कथित तौर पर “येलो लाइन” को पार कर चुके हैं। समझौते के बावजूद, इजरायल आवश्यक सामग्री और चिकित्सा आपूर्ति के प्रवेश को बुरी तरह से बाधित कर रहा है।
**सबूतों की कमी से शवों की पहचान में मुश्किल**
गाजा के फोरेंसिक विभाग ने बताया कि इजरायल द्वारा लौटाए गए 330 शवों में से कई पर यातना, विकृति और हत्या के निशान पाए गए हैं। पर्याप्त प्रयोगशालाओं और उपकरणों की कमी के कारण, केवल 90 शवों की ही पहचान हो पाई है। अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मदद की अपील की है।
