भारतीय क्रिकेट की तेज गति से उभरती हुई खिलाड़ी, प्रतिका रावल, को टखने में फ्रैक्चर के कारण विश्व कप फाइनल से बाहर होना पड़ा। हालांकि, वह अपने ठीक होने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं और वापसी के लिए पूरी तरह तैयार हैं। न्यूजीलैंड के खिलाफ उनकी शानदार 122 रनों की पारी की यादें ताज़ा हैं, और अब उनका लक्ष्य “पहले से कहीं अधिक मजबूत” होकर मैदान पर लौटना है।
नई दिल्ली: प्रतिका रावल ने कम समय में ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी एक खास पहचान बना ली है। 25 वर्षीय इस क्रिकेटर ने बास्केटबॉल के अपने सुनहरे भविष्य को छोड़कर क्रिकेट को चुना और अब वह भारतीय महिला टीम की एक महत्वपूर्ण सदस्य बन चुकी हैं।
दिसंबर 2023 में वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज में उन्होंने अपना डेब्यू किया था। अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के दम पर वह तेजी से लोकप्रियता हासिल कर रही हैं। प्रतिका ODI में सबसे तेज 1000 रन बनाने वाली बल्लेबाजों में से एक हैं, जिन्होंने यह मुकाम महज 23 पारियों में हासिल किया। वह ऑस्ट्रेलिया की लिंडसे रीलर के साथ संयुक्त रूप से इस रिकॉर्ड की बराबरी पर हैं।
स्मृति मंधाना के साथ उनकी ओपनिंग जोड़ी बेहद सफल साबित हुई है। दोनों ने मिलकर 23 मैचों में 1799 रन बनाए हैं, जो महिला क्रिकेट के इतिहास में सबसे सफल ओपनिंग जोड़ियों में से एक है। उनकी आक्रामक शुरुआत और निरंतरता ने टीम को कई बार मजबूत स्थिति में पहुंचाया है।
हालिया विश्व कप में प्रतिका का प्रदर्शन मिला-जुला रहा, लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। 122 रनों की महत्वपूर्ण शतकीय पारी की बदौलत भारत ने मैच जीता और अगले दौर में जगह बनाई।
दुर्भाग्यवश, इसी विश्व कप के दौरान नवी मुंबई में खेलते समय गीले मैदान पर फिसलने से उनके टखने में गंभीर चोट आ गई। इस चोट ने उनके विश्व कप अभियान को समाप्त कर दिया। प्रतिका ने उस पल को याद करते हुए बताया, “मैं ऐसी इंसान नहीं हूँ जो दर्द छुपाए। मैं चीख पड़ी। लॉन्ग-ऑन पर फील्डिंग कर रही हरलीन देओल को तुरंत पता चल गया था कि मैं ठीक नहीं हूँ, क्योंकि मैं ऐसे कभी रिएक्ट नहीं करती। मैं उठकर खड़ी हो गई क्योंकि मुझे स्ट्रेचर पर जाना बिल्कुल पसंद नहीं। मैं चलकर ड्रेसिंग रूम गई और सिर्फ यही सोच रही थी कि मैं कब वापस खेलने आ सकती हूँ।”
जब टीम ने विश्व कप जीता, तब भी प्रतिका मैदान पर मौजूद थीं। स्मृति मंधाना ने उन्हें व्हीलचेयर पर बिठाकर मैदान का चक्कर लगाया, ताकि वह भी अपनी टीम की जीत का जश्न मना सकें।
अपनी चोट के बारे में बात करते हुए प्रतिका ने कहा, “खेल में ऐसी चीजें होती रहती हैं। यह मेरे नियंत्रण में नहीं था। मैंने सिर्फ अपने टखने के ठीक होने पर ध्यान दिया। मैंने हिसाब लगाना शुरू कर दिया कि मैं कब तक वापस आ सकती हूँ। बस यही सोच रही थी कि आगे क्या करना है। जो भावनाएं मैं नहीं दिखा पाई, उन्हें मेरे पिताजी ने दिखाया। मुझे ही उन्हें शांत करना पड़ा।”
