अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) की एक नई रिपोर्ट ने भारत में हलचल मचा दी है। रिपोर्ट में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और उनके अधिकारों के हनन के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। USCIRF का दावा है कि भारत में मस्जिदों को तोड़कर मंदिर बनाए जा रहे हैं और धर्मांतरण विरोधी कानून धार्मिक स्वतंत्रता पर चोट पहुँचा रहे हैं। आयोग ने देश की धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति को “चौंकाने वाला” करार दिया है।
हालांकि, भारत में इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज किया जा रहा है। देश भर से आवाज़ें उठ रही हैं कि यह रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं, बल्कि पूर्वाग्रह से ग्रसित है। जिन मुस्लिम समुदायों के अधिकारों की रक्षा की बात रिपोर्ट में की गई है, उनके नेताओं ने भी इन दावों को झूठा बताया है। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने स्पष्ट किया है कि भारत में सभी धर्मों के लोग खुले तौर पर अपनी इबादत करते हैं और ऐसी रिपोर्टें केवल देश की छवि खराब करने और समाज में फूट डालने की कोशिश हैं।
यह पहली बार नहीं है जब USCIRF ने भारत के खिलाफ ऐसी टिप्पणियाँ की हैं। कई भारतीय आलोचक सवाल उठा रहे हैं कि यह अमेरिकी संस्था लगातार एकतरफा और पक्षपातपूर्ण रिपोर्टें क्यों जारी करती है। इन आलोचनाओं के पीछे यह भी माना जा रहा है कि यह रिपोर्टें भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा हैं।
इसके जवाब में, भारत ने अमेरिका के अपने रिकॉर्ड पर प्रकाश डाला है। अमेरिका में नागरिक अधिकार संगठनों के आँकड़े बताते हैं कि वहाँ घृणा अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है, विशेषकर यहूदी और मुस्लिम समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है। पिछले पाँच वर्षों में, यहूदियों के खिलाफ 10,000 से अधिक घृणास्पद घटनाएँ दर्ज की गई हैं। वहीं, मुसलमानों के खिलाफ घृणा अपराधों में 70% की वृद्धि देखी गई है, जिसमें इस वर्ष 647 मामले सामने आए हैं। भारत में भी, हिंदू और बौद्ध मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाओं की खबरें आई हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि ये आँकड़े अमेरिका की अपनी आंतरिक समस्याओं को दर्शाते हैं, जिससे उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठता है। भारत में कई लोग USCIRF की रिपोर्ट को एक भू-राजनीतिक चाल के रूप में देख रहे हैं, जिसका उद्देश्य भारत जैसी उभरती हुई शक्तियों को कमजोर करना है। यह स्थिति प्रसिद्ध क्रांतिकारी नेता चे ग्वेरा के इस विचार से भी मेल खाती है कि अमेरिका ऐसे किसी भी वैश्विक बदलाव का विरोध करता है जो उसकी सर्वोच्चता को चुनौती दे।
