पाकिस्तान की संभावित नापाक चालों को लेकर भारतीय सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। खुफिया सूत्रों से मिल रहे इनपुट से संकेत मिल रहे हैं कि सीमा पार कुछ बड़ी योजनाएं आकार ले रही हैं। हाल ही में दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट की जांच ने पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों, विशेषकर जैश-ए-मोहम्मद, के साथ तार जोड़े हैं। पकड़े गए संदिग्धों ने पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के बारे में अहम जानकारी दी है, जिससे बड़े टेरर प्लान का अंदेशा गहरा गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस्लामाबाद के भीतर कुछ गंभीर चल रहा है। ऐसे में बलूचिस्तान की आवाजें भारत को महत्वपूर्ण सलाह दे रही हैं। बलूचिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता, मीर यार बलूच, ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं करेगा। उन्होंने भारत को इजरायल की तर्ज पर एक निर्णायक सैन्य कार्रवाई करने की सलाह दी है, यह कहते हुए कि पाकिस्तान इस तरह के आक्रमण का एक महीना भी सामना नहीं कर पाएगा।
मीर यार बलूच का यह बयान पाकिस्तान के लंबे इतिहास और उसकी आंतरिक कमजोरियों पर आधारित है। उन्होंने भारत को बलूचिस्तान और अफगानिस्तान को सीधे सैन्य और रक्षात्मक सहायता प्रदान करने का सुझाव दिया। उनका मानना है कि भारत को अफगानिस्तान में, विशेष रूप से बगराम एयरबेस सहित, अतिरिक्त दस हवाई अड्डों की आवश्यकता होगी। इन अड्डों से भारत को अफगान क्षेत्र से संचालित होने का रणनीतिक लाभ मिलेगा।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि अफगानिस्तान को लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली और उन्नत रक्षात्मक उपकरण दिए जाने चाहिए ताकि पाकिस्तानी हवाई हमलों से बचा जा सके। बलूच सैन्य विश्लेषकों के अनुसार, अगर बलूचिस्तान और अफगानिस्तान को एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम और आधुनिक हथियार मिलते हैं, तो वे पाकिस्तान के खिलाफ खड़े हो सकते हैं। उनके मुताबिक, ऐसी स्थिति में पाकिस्तान का विरोध पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगा।
बलूच नेता ने यह भी दावा किया है कि उनके लड़ाके पाकिस्तान में कुछ ही हफ्तों में नियंत्रण स्थापित कर सकते हैं और बलूचिस्तान के बहुमूल्य खनिज संसाधनों पर कब्जा कर लेंगे। इससे पाकिस्तान को भारी आर्थिक झटका लगेगा। यह सारी चेतावनियाँ ऐसे नाजुक समय पर आ रही हैं जब भारत को लग रहा है कि पाकिस्तान 1990 के दशक की तरह ही अशांति फैलाने की कोशिश कर रहा है। हालिया गिरफ्तारियां, आतंकी कनेक्शनों का उजागर होना और पाकिस्तान की ओर से बढ़ता दबाव, सब एक ही पैटर्न की ओर इशारा कर रहे हैं। भारत हर घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहा है, और बलूच समुदाय की यह अपील, उनके जमीनी अनुभवों से उपजी, इस जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक नई परत जोड़ती है।
