भारत ने अपनी स्वदेशी रक्षा तकनीक का लोहा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनवाया है। क्रोएशिया के ज़ाग्रेब में आयोजित 23वें अंतर्राष्ट्रीय नवाचार प्रदर्शनी 2025 में भारत के ‘कायल भैरव’ ड्रोन ने प्रतिष्ठित सिल्वर मेडल जीता है। इस शानदार उपलब्धि ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब वैश्विक रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया है, जो दुनिया की सर्वश्रेष्ठ तकनीकों को टक्कर दे रहा है।
यह जीत सिर्फ एक पुरस्कार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के अत्याधुनिक रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। कायल भैरव, भारत का पहला AI-संचालित मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (MALE) स्वायत्त लड़ाकू ड्रोन है, जिसे भारतीय कंपनी फ्लाइंग वेज डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित किया है।
**AI-संचालित कायल भैरव E2A2: भारत की तकनीकी क्षमता का प्रमाण**
कायल भैरव E2A2 की विशेषताएं इसे अद्वितीय बनाती हैं। यह ड्रोन 30 घंटे तक लगातार उड़ान भरने में सक्षम है और 3,000 किमी की दूरी तय कर सकता है। इसके अंदरूनी AI सिस्टम स्वचालित रूप से मिशन की योजना बनाने, लक्ष्यों को पहचानने और झुंड (swarm) के रूप में समन्वित हमले करने में सक्षम हैं। यह क्षमता भारत को जटिल और स्वायत्त सैन्य अभियान चलाने की शक्ति प्रदान करती है।
**भविष्य के युद्ध के लिए तैयार, अडिग और बहुमुखी**
इस ड्रोन की सबसे खास बात इसकी मज़बूती और विभिन्न परिस्थितियों में ढलने की क्षमता है। उन्नत ऑनबोर्ड सिस्टम और मल्टी-सेंसर क्षमताओं के कारण, यह ड्रोन सटीक निशाने लगाने में माहिर है। दुश्मन द्वारा सिग्नल जाम करने जैसे प्रयासों के बावजूद, कायल भैरव अपनी उड़ान जारी रख सकता है और मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर सकता है।
इसकी मॉड्यूलर बनावट इसे कई तरह के मिशनों के लिए उपयुक्त बनाती है, जैसे कि सटीक हमले करना, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध लड़ना, समुद्री क्षेत्रों की व्यापक निगरानी करना और युद्धक्षेत्र में त्वरित जानकारी साझा करना। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह विदेशी ड्रोनों की तुलना में एक बहुत सस्ता और पूरी तरह से भारतीय समाधान है।
**’आत्मनिर्भर भारत’ की ओर एक बड़ा कदम**
फ्लाइंग वेज के सीईओ, सुहास तेजस्कंदा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह जीत भारत की तकनीकी क्षमता का जीता-जागता प्रमाण है। हमारा लक्ष्य ‘मेड इन इंडिया, फॉर द वर्ल्ड’ के सिद्धांत को साकार करना है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए आत्मनिर्भर बनना होगा और कायल भैरव इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय डिज़ाइन, निर्माण और AI नवाचार का प्रतीक है।
**वैश्विक रक्षा बाज़ार में भारत का उदय**
क्रोएशियाई प्रदर्शनी में मिली यह सिल्वर मेडल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ती तकनीकी शक्ति की स्वीकार्यता है। लंबे समय से पश्चिमी देशों और रूस-चीन के प्रभुत्व वाले रक्षा निर्यात बाज़ार में भारत अब एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरा है। भारत का यह कदम वैश्विक ड्रोन युद्ध के परिदृश्य को बदल सकता है।
