भारत हाल ही में एक ऐसे विनाशकारी आतंकी हमले की कगार से लौटा है, जिसकी कल्पना भी सिहरन पैदा करती है। 32 कार बमों और 3200 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल करने की एक सोची-समझी साजिश का खुलासा हुआ है, जिसे अगर अंजाम दिया जाता तो यह दुनिया का सबसे घातक सीरियल ब्लास्ट बन जाता। यह ‘व्हाइट-कॉलर’ आतंकी हमला न सिर्फ हज़ारों जानें ले सकता था, बल्कि पूरे देश को गहरे सदमे में डाल सकता था।
**विस्फोटक योजना के चौंकाने वाले खुलासे**
खुफिया जानकारी ने एक ऐसे खतरनाक नेटवर्क का पर्दाफाश किया है जिसने सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है:
* हमलावरों की योजना 32 वाहनों को ज़हरीली मिसाइलों के रूप में इस्तेमाल करने की थी।
* 3200 किलोग्राम विस्फोटक, पर्याप्त मात्रा में हर इलाके को तबाह करने के लिए, इकट्ठा किया गया था।
* प्रत्येक वाहन को लगभग 100 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट से लैस करने की मंशा थी, जो इसे एक छोटा परमाणु बम जैसा बना देता।
इसकी भयावहता को ऐसे समझें: 1993 के मुंबई बम धमाकों, जिनमें करीब 1500 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ था, से दोगुने से भी ज़्यादा विस्फोटक की मात्रा का इस्तेमाल होना था।
**3200 किलोग्राम विस्फोटक के संभावित परिणाम**
विशेषज्ञों के विश्लेषण के अनुसार, यदि यह योजना सफल होती तो मंज़र कुछ ऐसा होता:
* 3200 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट एक साथ फटने पर 2.5 टन टीएनटी के बराबर ऊर्जा छोड़ता।
* 50 मीटर के दायरे में कोई भी संरचना पूरी तरह से ज़मीन में मिल जाती।
* तेज़ गति से फैलने वाली शॉकवेव से जीवित बचना असंभव होता।
यह केवल इमारतों को गिराने और जान लेने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि बड़े पैमाने पर दहशत और अस्थिरता फैलाने का एक भयानक कृत्य होता। 1995 के ओक्लाहोमा सिटी बमबारी, जिसमें 1800 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट से 168 लोग मरे थे, से तुलना करें तो यह हमला कई गुना ज़्यादा घातक होता।
**ऑपरेशनल गैप्स और अनुत्तरित प्रश्न**
सुरक्षा बलों ने इस बड़े खतरे को नाकाम कर दिया है, लेकिन अभी भी कुछ चिंताएं बाकी हैं:
* **खोया हुआ विस्फोटक:** कुल 3200 किलोग्राम में से 300 किलोग्राम विस्फोटक अभी भी लापता है। इसका पता लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
* **गायब वाहन:** केवल तीन कारों का पता चला है, बाकी 29 वाहन कहां हैं, यह एक बड़ा सवाल है। ये वाहन और लापता विस्फोटक किसी भी समय फिर से खतरा पैदा कर सकते हैं।
**राष्ट्र का भाग्य**
भारत की खुफिया एजेंसियों की मुस्तैदी और त्वरित कार्रवाई ने एक ऐसे नरसंहार को टाला है जो शायद दुनिया के इतिहास के पन्नों पर एक काला अध्याय बन जाता। यह सफलता हमारे सुरक्षा तंत्र की क्षमता का प्रमाण है, लेकिन यह चेतावनी भी देती है कि खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है।
जब तक हर लापता विस्फोटक और हर गुमशुदा वाहन का पता नहीं लगाया जाता, तब तक देश को हाई अलर्ट पर रहना होगा। यह घटना दिखाती है कि भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में कितना सतर्क और तैयार रहना होगा।
