नई दिल्ली: भारत ने एक बड़े आतंकी हमले की योजना को नाकाम कर दिया है, जो अगर सफल होता तो दुनिया का सबसे घातक सीरियल ब्लास्ट साबित हो सकता था। सुरक्षा एजेंसियों ने 3,200 किलोग्राम से अधिक शक्तिशाली विस्फोटकों से भरी 32 कारों के ज़रिए बड़े पैमाने पर तबाही मचाने की एक भयावह साजिश का पर्दाफाश किया है। यह ‘व्हाइट कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल, अगर अपना मंसूबा पूरा कर लेता, तो हज़ारों जानें जातीं और देश पर एक अमिट घाव लग जाता।
**सनसनीखेज खुलासे: 3200 KG बारूद और 32 गाड़ियां**
खुफिया तंत्र के खुलासे ने सुरक्षा घेरे में खलबली मचा दी है। इस खतरनाक योजना के तहत:
* 32 वाहनों को आत्मघाती हमलों के लिए इस्तेमाल किया जाना था।
* 3,200 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट जैसे विस्फोटक पदार्थ जुटाए गए थे, जो शहरी इलाकों को उजाड़ने के लिए पर्याप्त थे।
* हर वाहन में लगभग 100 किलोग्राम विस्फोटक भरने की तैयारी थी, जिससे वे चलती-फिरती मिसाइल बन जाते।
इसकी गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली के लाल किले में हुए एक धमाके ने 13 लोगों की जान ले ली थी। लेकिन यहां 32 ऐसे धमाकों की योजना थी, जिनका असर पूरे देश में महसूस किया जा सकता था।
**3,200 किग्रा विस्फोटकों का भयावह प्रभाव**
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर यह हमला होता तो इसका विनाशकारी प्रभाव कुछ ऐसा होता:
* **सामूहिक विनाश:** 3,200 किग्रा अमोनियम नाइट्रेट का विस्फोट 2.5 टन टीएनटी के बराबर होता।
* **संपूर्ण तबाही:** विस्फोट स्थल से 50 मीटर के दायरे में कुछ भी शेष नहीं बचता।
* **तेज झटके:** 14,400 किमी/घंटा की रफ़्तार से फैलती शॉक वेव्स जानलेवा साबित होतीं।
* **बड़े पैमाने पर मौतें:** घनी आबादी वाले इलाकों में लगभग 300-350 लोगों की तत्काल मृत्यु हो जाती।
* **इमारतों का गिरना:** 150 मीटर तक की इमारतें ध्वस्त हो जातीं, 400 मीटर तक के शीशे टूट जाते और 800 मीटर दूर तक ज़मीन हिल जाती।
**ऐतिहासिक आतंकी हमलों की तुलना**
इस खतरे की भयावहता को समझने के लिए, दुनिया के कुछ सबसे बड़े आतंकी हमलों की तुलना करना आवश्यक है:
* **ओक्लाहोमा सिटी बमबारी (1995):** 1,800 किग्रा अमोनियम नाइट्रेट से 168 मौतें और 600 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे। 3,200 किग्रा के हिसाब से यह आंकड़ा 300 से ज़्यादा मौतों और 550 से ज़्यादा घायलों का हो सकता था।
* **मुंबई सीरियल ब्लास्ट (1993):** लगभग 1,500 किग्रा विस्फोटक से 12 धमाके हुए, जिसमें 257 लोग मारे गए और 1,400 से ज़्यादा घायल हुए। 3,200 किग्रा विस्फोटक इस आंकड़े को 500 मौतों और 2,800 घायलों तक पहुंचा सकता था, जो इसे इतिहास का सबसे घातक हमला बना देता।
**अधूरी पड़ताल: खतरा अभी भी मौजूद**
सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता के बावजूद, कुछ चिंताजनक सवाल अभी भी बाकी हैं:
* **खुमचे हुए विस्फोटक:** कुल 3,200 किग्रा में से 300 किग्रा विस्फोटक अभी भी लापता हैं। इनका पता लगाना अत्यंत आवश्यक है।
* **गुमशुदा गाड़ियां:** अब तक केवल तीन संदिग्ध वाहन ही बरामद हुए हैं। बाकी 29 वाहन कहां हैं, यह एक बड़ा सवाल है, क्योंकि इनके मिलने से इस आतंकी नेटवर्क के विस्तार का पता चल सकता है।
**एक राष्ट्र की अविश्वसनीय जीत**
यह ‘व्हाइट कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल भारतीय इतिहास में अभूतपूर्व तबाही मचाने वाला था। खुफिया एजेंसियों की सूझबूझ और त्वरित कार्रवाई ने न केवल अनगिनत जिंदगियां बचाईं, बल्कि देश को एक ऐसे राष्ट्रीय संकट से उबारा जिसने आने वाली पीढ़ियों को भी प्रभावित किया होता।
लेकिन, जब तक लापता विस्फोटक और वाहन नहीं मिल जाते, खतरा पूरी तरह टला नहीं है। भारत के सुरक्षा बल पूरी तरह सतर्क रहें, क्योंकि दुश्मन की अगली चाल का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है।
