संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान के मिसाइल और मानव रहित हवाई वाहन (UAV) कार्यक्रमों का समर्थन करने वाली 32 अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और व्यक्तियों पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। इस सूची में एक भारतीय कंपनी का नाम भी शामिल है, जिससे वैश्विक व्यापार और कूटनीति में चिंता बढ़ गई है।
नई दिल्ली/वाशिंगटन: अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को घोषणा की कि ईरान के हथियार विकास को रोकने के लिए 32 संस्थाओं और व्यक्तियों पर कार्रवाई की गई है। इनमें ईरान, चीन, हांगकांग, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्किये और भारत के नागरिक और कंपनियां शामिल हैं। यह कदम ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल और UAV कार्यक्रमों के लिए सामग्री और तकनीक की खरीद में कथित तौर पर सहायता करने वाले नेटवर्क को लक्षित करता है। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि यह कार्रवाई तेहरान के हथियारों की बढ़ती क्षमता पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक है।
परमाणु समझौते का उल्लंघन और यूएन प्रतिबंधों की पुनःस्थापना
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ये प्रतिबंध ईरान द्वारा परमाणु समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा न करने की प्रतिक्रिया में संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के प्रयासों का भी समर्थन करते हैं। ट्रेजरी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ईरान वैश्विक वित्तीय प्रणाली का दुरुपयोग करके अपने अवैध हथियार कार्यक्रमों को धन मुहैया करा रहा है। उन्होंने कहा, “हम ईरान पर अधिकतम दबाव बनाए रखेंगे ताकि वह अपनी परमाणु गतिविधियों को बंद करे।” उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी आग्रह किया कि वे ईरान के वैश्विक वित्तीय पहुंच को बाधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को पूरी तरह से लागू करें।
भारतीय कंपनी फारलेन प्राइवेट लिमिटेड पर अमेरिकी आरोप
इस प्रतिबंध सूची में भारत की कंपनी फारलेन प्राइवेट लिमिटेड का नाम भी शामिल है। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के अनुसार, यह कंपनी संयुक्त अरब अमीरात की मार्को क्लिक नामक फर्म के साथ मिलकर काम कर रही थी। इन दोनों फर्मों पर मिसाइल प्रणोदक और विस्फोटक बनाने में इस्तेमाल होने वाले सोडियम क्लोरेट और सोडियम परक्लोरेट जैसे रसायनों की खरीद में मदद करने का आरोप है। अमेरिकी विदेश विभाग ने स्पष्ट किया है कि वे ईरान को ऐसे उपकरण और सामग्री प्राप्त करने से रोकने के लिए तीसरे देशों में स्थित फर्मों पर भी प्रतिबंध लगाना जारी रखेंगे, जो क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय चेतावनी: प्रतिबंधों से बचने के प्रयास विफल होंगे
इन नए प्रतिबंधों से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका ईरान पर अपनी “अधिकतम दबाव” की नीति पर अडिग है। यह वैश्विक व्यवसायों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि जो भी फर्म ईरान को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचने या उसके हथियार कार्यक्रमों में सहायता करने में मदद करती पाई जाएगी, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अमेरिकी सरकार ने जोर देकर कहा है कि वह केवल ईरानी संस्थाओं पर ही नहीं, बल्कि उनकी सहायता करने वाले विदेशी साझेदारों पर भी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगी।
