संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान के बढ़ते मिसाइल और मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) कार्यक्रमों को समर्थन देने के आरोप में 32 अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और व्यक्तियों पर तत्काल प्रतिबंधों की घोषणा की है। इन प्रतिबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों में भारत, चीन और यूएई सहित कई देशों के समूह शामिल हैं। यह अमेरिकी सरकार की ईरान पर ‘अधिकतम दबाव’ की नीति का एक और महत्वपूर्ण कदम है।
नई दिल्ली: अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यह प्रतिबंध ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों के विकास और इसके प्रसार को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के प्रयासों का हिस्सा है। विभाग के अनुसार, इन 32 संस्थाओं और व्यक्तियों ने ईरान को ऐसी सामग्री और तकनीकें प्रदान की हैं जो उसके हथियार कार्यक्रमों के लिए महत्वपूर्ण हैं। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ईरान वैश्विक वित्तीय प्रणाली का दुरुपयोग करके अपने परमाणु और पारंपरिक हथियारों के विकास को वित्त पोषित कर रहा है।
प्रतिबंधों का उद्देश्य ईरान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग करना और उसके हथियार कार्यक्रमों के लिए आवश्यक सामग्री की खरीद को रोकना है। इस कार्रवाई के तहत, भारत की एक कंपनी ‘फार्मलेन प्राइवेट लिमिटेड’ को संयुक्त अरब अमीरात की एक फर्म ‘मार्को क्लिक’ के साथ जोड़ा गया है। आरोप है कि इन कंपनियों ने ईरान के मिसाइल ईंधन के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले सोडियम क्लोरेट जैसे रसायनों की खरीद में भूमिका निभाई।
अमेरिकी विदेश विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह केवल ईरान तक ही सीमित नहीं रहेगा। वाशिंगटन उन सभी विदेशी कंपनियों और व्यक्तियों को लक्षित करेगा जो ईरान के हथियार महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में सहायता कर रहे हैं। यह वैश्विक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है कि जो भी ईरान को प्रतिबंधित वस्तुओं की आपूर्ति करेगा, उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। यह कदम क्षेत्र की सुरक्षा और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों पर नकेल कसने के अमेरिकी संकल्प को दर्शाता है।
