अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीज़ा कार्यक्रम के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा है कि अमेरिका को अपनी महत्वपूर्ण नौकरियों के लिए विदेशी प्रतिभा की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश में कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में कुशल श्रमिकों की कमी है।
हाल ही में एक साक्षात्कार में, राष्ट्रपति ट्रंप ने H-1B वीज़ा पर अमेरिकी श्रमिकों के वेतन में गिरावट के आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका को विशेष ज्ञान और कौशल वाले विदेशी पेशेवरों की सख्त जरूरत है, जिन्हें स्थानीय स्तर पर ढूंढना मुश्किल है। जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी सरकार इस वीज़ा कार्यक्रम को सीमित करने पर विचार कर रही है, तो ट्रंप ने कहा कि प्रतिभा को अमेरिका लाना आवश्यक है, भले ही कुछ चिंताएं हों। उन्होंने स्पष्ट किया कि हर जगह हर तरह की प्रतिभा उपलब्ध नहीं है, और कुछ क्षेत्रों में तो खास तौर पर विशेषज्ञता की कमी है।
ट्रंप ने एक उदाहरण देते हुए कहा, “आप बेरोजगारी भत्ता पाने वाले किसी व्यक्ति को सीधे मिसाइल बनाने वाले कारखाने में नहीं लगा सकते।” उन्होंने हाल ही में जॉर्जिया में हुंडई प्लांट पर हुई ICE की कार्रवाई का भी उल्लेख किया, जहाँ कई विदेशी कर्मचारी पकड़े गए थे। ट्रंप के अनुसार, यह घटना दर्शाती है कि जटिल औद्योगिक प्रक्रियाओं, जैसे कि बैटरी निर्माण, के लिए अमेरिका विदेशी विशेषज्ञों पर निर्भर है।
इसके बावजूद, ट्रंप प्रशासन आप्रवासन नीतियों को सख्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। H-1B वीज़ा प्रणाली में बड़े बदलाव किए गए हैं। इनमें से एक प्रमुख बदलाव यह है कि अब नई वीज़ा याचिकाओं के लिए $100,000 तक का भारी शुल्क लिया जा सकता है। प्रशासन का कहना है कि यह कदम नियोक्ताओं द्वारा वीज़ा का दुरुपयोग रोकने के लिए है। हालांकि, कई अमेरिकी विश्वविद्यालय और व्यापारिक संगठन इस नई फीस के खिलाफ हैं, क्योंकि उनका मानना है कि इससे विदेशी प्रतिभा को आकर्षित करना और मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा, एक नई लॉटरी प्रणाली प्रस्तावित की गई है जो उच्च वेतन पाने वाले या विशेष कौशल वाले आवेदकों को प्राथमिकता देगी, ताकि योग्यता-आधारित चयन सुनिश्चित हो सके।
