दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट की जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, भारत में बांग्लादेश और नेपाल के रास्ते तस्करी कर लाया गया 3,200 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट का जखीरा, जिसमें से 300 किलोग्राम अभी भी गायब है। फरीदाबाद के आतंकी मॉड्यूल से जुड़ी इस घटना में अब तक करीब 2.9 टन विस्फोटक बरामद हुआ है, लेकिन शेष मात्रा सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।
लापता 300 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट को बरामद करना और उसे रखने वाले लोगों की पहचान करना एजेंसियों की सर्वोच्च प्राथमिकता है। अब तक कई ठिकानों से लगभग तीन टन विस्फोटक जब्त किया जा चुका है। हालांकि, अधिकारियों को संदेह है कि कुछ हिस्सा अभी भी गुप्त स्थानों पर छिपा हो सकता है, और इन पर कार्रवाई के लिए पूरे देश में तलाशी अभियान जारी हैं। एक अधिकारी ने कहा कि खतरा अभी टला नहीं है और किसी भी संभावित घटना को रोकने के लिए कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
जांचकर्ताओं को मिले सुरागों से पता चला है कि अमोनियम नाइट्रेट की यह खेप अवैध रूप से बांग्लादेश और नेपाल की सीमाओं से भारत में दाखिल हुई थी। गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों ने एक खाद निर्माता कंपनी से इस विस्फोटक पदार्थ को चुराकर सीमा पार पहुंचाया था। कुल 3,200 किलोग्राम विस्फोटक की तस्करी की सूचना मिलने के बाद, सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे मार्ग पर सतर्कता बढ़ा दी है।
प्रारंभिक जांच के अनुसार, आतंकवादियों ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या और वाराणसी जैसे धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने की योजना बनाई थी। कथित तौर पर, आरोपी डॉ. शाहिन ने अयोध्या में अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए एक स्लीपर सेल को सक्रिय किया था। इन प्रमुख लक्ष्यों के अलावा, लाल किला, इंडिया गेट, कॉन्स्टिट्यूशन क्लब, गौरी शंकर मंदिर, बड़े रेलवे स्टेशनों और शॉपिंग सेंटरों को भी उनके निशाने पर रखा गया था। जांचकर्ताओं का मानना है कि यह षड्यंत्र जनवरी 2025 से चल रहा था, जिसका उद्देश्य 26/11 जैसे बड़े हमले जैसा माहौल बनाना था।
जांचकर्ताओं ने बताया कि इस मॉड्यूल का इरादा दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद में एक साथ 200 से अधिक शक्तिशाली आईईडी (Improvised Explosive Devices) में विस्फोट कराना था। अधिकारियों का कहना है कि इस हमले का मुख्य उद्देश्य भीड़भाड़ वाले इलाकों और धार्मिक स्थलों को लक्षित कर देश में अशांति फैलाना था।
देशभर में जांच तेज कर दी गई है। सुरक्षा एजेंसियां संदिग्ध मॉड्यूल से जुड़े संभावित स्लीपर सेल का पता लगाने और लापता विस्फोटकों को खोजने के लिए कई राज्यों में तलाशी अभियान चला रही हैं। खुफिया जानकारी से संकेत मिलता है कि इस आतंकी नेटवर्क के उत्तरी भारत में गहरे तार जुड़े हुए हैं, जिनमें सीमा पार तस्करी का नेटवर्क भी शामिल है। शेष अमोनियम नाइट्रेट के किसी अन्य बड़े आतंकी हमले में इस्तेमाल होने की आशंका के चलते सभी संवेदनशील जगहों और धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
