नई दिल्ली: भारत की राजधानी दिल्ली हाल के दिनों में दो गंभीर सुरक्षा घटनाओं से दहल गई है, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंताएं बढ़ा दी हैं। जहां एक ओर इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआईए) पर जीपीएस सिग्नल में बाधा डाली गई, वहीं दूसरी ओर लाल किले के पास एक भीषण कार विस्फोट हुआ, जिसमें कई जानें गईं। इन दोनों घटनाओं के बीच की कम अवधि ने एक नई ‘हाइब्रिड आतंकवाद’ रणनीति की ओर इशारा किया है, जिसके तार संभवतः पाकिस्तान से जुड़े हो सकते हैं।
खुफिया एजेंसियों को शक है कि आईजीआईए पर जीपीएस स्पूफिंग और लाल किले के पास हुआ आत्मघाती कार विस्फोट एक सुनियोजित, समन्वित हमले का हिस्सा हो सकते हैं। यह एक ‘साइबर-भौतिक’ रणनीति हो सकती है, जहां इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर वास्तविक दुनिया में तबाही मचाई जाती है। इस प्रकार की जटिल चालें अक्सर दुश्मन देशों द्वारा ध्यान भटकाने या अपने आतंकवादी अभियानों को अंजाम देने के लिए अपनाई जाती हैं।
आईजीआईए पर जीपीएस स्पूफिंग की घटनाएं पिछले सप्ताह शुरू हुईं, जब कई विमानों को उड़ान भरने या उतरने के दौरान नेविगेशन सिस्टम में गंभीर गड़बड़ी का अनुभव हुआ। पायलटों ने बताया कि उनके जीपीएस उपकरण गलत डेटा दिखा रहे थे, जिससे विमान को सुरक्षित रूप से उड़ाना मुश्किल हो गया। यह घटना चिंताजनक इसलिए है क्योंकि इस तरह की जीपीएस स्पूफिंग तकनीक का इस्तेमाल पहले भी सैन्य क्षेत्रों में या सीमावर्ती इलाकों में देखा गया है, और इसके लिए किसी भी आधिकारिक अभ्यास की घोषणा नहीं की गई थी।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सभी एयरलाइनों और पायलटों को ऐसी किसी भी घटना की तुरंत रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के कार्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी संबंधित खुफिया और रक्षा एजेंसियों से जांच के आदेश दिए हैं ताकि इस इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप के स्रोत का पता लगाया जा सके।
इतने में ही, 10 नवंबर की शाम को लाल किले के पास एक और भयानक घटना हुई। एक कार में सवार व्यक्ति ने लाल बत्ती पर रुकते ही अपने वाहन में रखे बम में विस्फोट कर दिया। इस धमाके में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए। प्रारंभिक जांच में इसे एक आत्मघाती हमला माना जा रहा है।
पुलिस और सुरक्षा बलों ने तुरंत घटनास्थल को सील कर दिया और जांच शुरू कर दी। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को जांच सौंप दी गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि धमाका इतना भीषण था कि आसपास का इलाका थर्रा उठा और आग की लपटें कई फीट ऊपर तक उठ गईं।
सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि वह कार दोपहर में ही पार्किंग में खड़ी थी और विस्फोट से कुछ देर पहले ही निकली थी। ऐसा माना जा रहा है कि यह एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) था, जो शायद कहीं और ले जाया जा रहा था और समय से पहले फट गया। चिंताजनक बात यह है कि विस्फोट से कुछ घंटे पहले ही फरीदाबाद में एक बड़े पैमाने पर विस्फोटक (2,900 किलोग्राम) की बरामदगी हुई थी, जो दिल्ली को दहलाने की एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि लाल किले के पास हुए विस्फोट में किसी तरह के मेटल शार्कनेन का इस्तेमाल नहीं किया गया था, जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह एक अधूरा या नियंत्रित तरीके से न फटने वाला आईईडी था। इसमें अमोनियम नाइट्रेट और फ्यूल ऑयल जैसे पदार्थों का प्रयोग किया गया हो सकता है।
इन दोनों घटनाओं के बीच का संबंध पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान अब ‘हाइब्रिड आतंकवाद’ का सहारा ले रहा है, जिसमें साइबर हमलों और इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप का उपयोग करके भौतिक हमलों के लिए माहौल तैयार किया जाता है। उनका मानना है कि जीपीएस स्पूफिंग का उपयोग शायद वायु रक्षा प्रणालियों को भ्रमित करने या हमले के लिए ध्यान भटकाने के लिए किया गया था।
एनआईए, डीजीसीए और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) संयुक्त रूप से यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या ये स्पूफिंग हमले लाल किला विस्फोट से जुड़े थे और क्या यह वास्तव में एक बड़ी, सुनियोजित आतंकी कार्रवाई का हिस्सा था। इन दो घटनाओं ने भारत की सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा है और वे किसी भी भयावह साजिश का पर्दाफाश करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं।
