भारत और भूटान के बीच गहरे आध्यात्मिक और सभ्यतागत जुड़ाव का एक और प्रमाण देखने को मिला, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थिम्फू में भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक के साथ भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों से आशीर्वाद लिया। स्थानीय भिक्षुओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
यह पवित्र अवशेष, जो भारत से लाए गए हैं, वर्तमान में थिम्फू के ताशिछोजोंग में स्थापित हैं। इन्हें भूटान के चौथे राजा की 70वीं जयंती और भूटान सरकार द्वारा आयोजित ग्लोबल पीस प्रेयर फेस्टिवल के उपलक्ष्य में विशेष तौर पर भारत की ओर से भेंट किया गया है।
विदेश मंत्रालय ने एक्स पर साझा किया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान के महामहिम राजा के साथ मिलकर भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों से आशीर्वाद प्राप्त किया। भिक्षुओं ने मंत्रोच्चारण के बीच पवित्र अवशेषों के समक्ष प्रार्थना की।”
भारत और भूटान के बीच बौद्ध धर्म एक साझा विरासत है। कई भूटानी नागरिक भारत के बोधगया, राजगीर, नालंदा, सिक्किम, उदयगिरि और सारनाथ जैसे पवित्र बौद्ध स्थलों की यात्रा करते हैं।
भारत-भूटान राजनयिक संबंधों की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर, राजगीर में भूटानी मंदिर के निर्माण का भूमि पूजन जे खेंपो ने किया था, जिसका उद्घाटन इसी वर्ष सितंबर में हुआ। एशियाटिक सोसाइटी, कोलकाता ने भूटान के संस्थापक माने जाने वाले ज़ाबद्रुंग की प्रतिमा भी प्रदर्शन के लिए दी है, जो सिम्तोखा जोंग में रखी गई है।
प्रधानमंत्री मोदी का भूटान से गहरा नाता रहा है। 2014 में सत्ता संभालने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा भूटान की ही थी। 2019 में उन्होंने दूसरी बार राजकीय यात्रा की और मार्च 2024 में एक महत्वपूर्ण यात्रा के दौरान उन्हें भूटान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्याल्पो’ से सम्मानित किया गया, यह सम्मान पाने वाले वे पहले विदेशी नेता बने।
‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्याल्पो’ भूटान का सर्वोच्च सम्मान है, जो आजीवन उपलब्धियों के लिए दिया जाता है।
भूटान के राजा ने 2021 में 114वें राष्ट्रीय दिवस पर इस सम्मान की घोषणा की थी, जो भारत-भूटान संबंधों को मजबूत करने में पीएम मोदी के योगदान को दर्शाता है। यह सम्मान भारत के वैश्विक उत्थान और भूटान के साथ उसके विशेष संबंधों को भी स्वीकार करता है।
पुरस्कार स्वीकार करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह 1.4 अरब भारतीयों का सम्मान है और दोनों देशों के अनूठे संबंधों का प्रतीक है।
वर्तमान में लगभग 50,000 भारतीय भूटान में अवसंरचना, जलविद्युत, शिक्षा और वाणिज्य जैसे क्षेत्रों में कार्यरत हैं। यह भारत और भूटान के बीच मजबूत जन-संपर्क को दर्शाता है और उनके योगदान को दोनों देशों में सराहा गया है।
