दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास हुए एक गंभीर विस्फोट के बाद, जिसने कई जानें लील लीं, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अवैध हथियारों की तस्करी और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों के खिलाफ “शून्य सहिष्णुता” की जोरदार वकालत की है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वनाथनैनी हरीश ने सुरक्षा परिषद के मंच से स्पष्ट संदेश दिया कि ऐसे कृत्यों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
**सीमा पार आतंकवाद का बढ़ता खतरा**
छोटे हथियारों पर सोमवार को हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की महत्वपूर्ण बहस में, राजदूत हरीश ने भारत के लिए सीमा पार आतंकवाद की गंभीर समस्या पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि कैसे अवैध रूप से लाए गए हथियार, जिसमें अब ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल भी शामिल है, देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आतंकवादी संगठनों का अस्तित्व बाहरी सहायता, वित्तीय प्रवाह और हथियारों की निरंतर आपूर्ति पर निर्भर करता है, और इन स्रोतों को रोकना अत्यंत आवश्यक है।
**आतंक के वित्तपोषण और तस्करी पर नकेल कसने की जरूरत**
राजदूत हरीश के अनुसार, छोटे और हल्के हथियारों का अवैध व्यापार और गैरकानूनी तरीकों से इनका विभिन्न समूहों तक पहुंचना, दुनिया भर में सशस्त्र संघर्षों को हवा देने का एक प्रमुख कारण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे आतंकी समूहों को पनपने से रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलकर काम करना होगा। इसमें हथियारों की तस्करी को रोकना, खुफिया जानकारी का तेजी से आदान-प्रदान करना और सीमाओं पर निगरानी को सख्त करना शामिल है।
**अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और प्रतिबंधों का पालन**
भारत ने इस बात पर बल दिया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगाए गए हथियार प्रतिबंधों का कड़ाई से और निष्पक्ष रूप से पालन किया जाना चाहिए, क्योंकि ये संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में हथियारों के प्रवेश को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राजदूत हरीश ने आगे कहा कि आतंकवाद से निपटना केवल सुरक्षा का मामला नहीं है, बल्कि यह विकास, मानवता और सामाजिक-आर्थिक स्थिरता से भी जुड़ा है। इसलिए, इस समस्या के समाधान के लिए सुरक्षात्मक उपायों के साथ-साथ विकासात्मक पहलों पर भी ध्यान देना होगा। मजबूत राष्ट्रीय कानून, संगठनात्मक समन्वय, आधुनिक डेटा प्रबंधन प्रणाली और हथियारों के सुरक्षित भंडारण जैसी चीजें इसमें अहम भूमिका निभाती हैं।
**वैश्विक शांति के लिए मजबूत संयुक्त राष्ट्र ढांचा**
भारत ने संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम (PoA) और अंतर्राष्ट्रीय अनुरेखन साधन (ITI) जैसी वैश्विक पहलों का समर्थन जारी रखने की बात कही। राजदूत हरीश ने इस बात पर फिर से जोर दिया कि आतंकवादी समूहों को घातक हथियारों की आपूर्ति को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कड़े कानून, प्रभावी प्रवर्तन, निर्यात पर नियंत्रण, क्षमता निर्माण और सूचनाओं का निरंतर आदान-प्रदान महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “सुरक्षा परिषद को आतंकवाद के हर रूप और उसके समर्थकों के प्रति अपनी शून्य सहिष्णुता की नीति को दृढ़ता से बनाए रखना चाहिए, चाहे वह किसी भी तरह से ऐसे हथियारों की तस्करी, वित्तपोषण या उन्हें उपयोग करने में मदद कर रहा हो।” लाल किले के पास हुए हालिया आतंकी हमले के बाद भारत का यह कड़ा रुख, सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ उसकी अडिग प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
