भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष, बाबूलाल मरांडी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर पुरस्कार वितरण के मामले में पक्षपात का आरोप लगाया है। मरांडी ने मुख्यमंत्री की निर्णय लेने की शक्ति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे किसी को भी, किसी भी समय पुरस्कृत कर सकते हैं, भले ही उस व्यक्ति का अतीत कैसा भी हो। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक राजा की तरह हैं, जो चोर-उचक्कों को भी सम्मानित करने का अधिकार रखते हैं। मरांडी ने इस बात पर भी जोर दिया कि उनके शासनकाल में डीजीपी पद की नियुक्ति भी “पुरस्कार” जैसी हो गई है, जिसे मर्जी से दिया और वापस लिया जा रहा है, जो कानून के शासन पर सवालिया निशान लगाता है।
बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री को विशेष रूप से JAP-2 के आरक्षी रणजीत राणा के मामले पर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि रणजीत राणा को भी पुलिस पदक से सम्मानित किए जाने की सूची में शामिल किया गया है। मरांडी के अनुसार, यह आरक्षी वर्ष 2015 से लगातार अनुराग गुप्ता के कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर काम कर रहा है और इसने कभी किसी नक्सल विरोधी अभियान में हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि रणजीत राणा, अनुराग गुप्ता के “काले कारनामों” का एक प्रमुख सहयोगी, राजदार और भागीदार रहा है। पुलिस और कोयलांचल के क्षेत्र में गलत कामों से जुड़े लोग इस व्यक्ति के चरित्र और करतूतों से अच्छी तरह वाकिफ हैं।
बाबूलाल मरांडी ने यह सवाल उठाया है कि ऐसे व्यक्ति को, जिसने किसी भी तरह का कोई सराहनीय कार्य नहीं किया है, उसे किस “सराहनीय सेवा” के लिए पुलिस पदक दिया जा रहा है? उन्होंने सीधे तौर पर पूछा कि क्या झारखंड सरकार में अब वरिष्ठ अधिकारियों के आपराधिक कृत्यों में सहायता करना और उनकी अवैध गतिविधियों में भागीदार बनना “सराहनीय सेवा” मानी जाएगी? मरांडी ने यह भी कहा कि अगर मुख्यमंत्री को इस मामले में गुमराह किया जा रहा है, तो उन्हें इसकी जानकारी दी जानी चाहिए, हालांकि अंतिम फैसला मुख्यमंत्री का ही होगा।
