वाशिंगटन: पाकिस्तान की सेना, जो पहले से ही कई घोटालों से जूझ रही है, अब एक नए और शर्मनाक विवाद में फंस गई है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि गाजा में एक संभावित सैन्य तैनाती के लिए सैनिकों के जीवन का मूल्य डॉलर में तय किया गया है, और यह कीमत बेहद चौंकाने वाली है।
सैन्य हलकों में चर्चा का विषय बना यह ‘रेट कार्ड’ पाकिस्तानी सेना की साख पर एक बड़ा धब्बा है। लीक हुई जानकारी के मुताबिक, सैनिकों के लिए अलग-अलग ‘भाव’ निर्धारित हैं। ड्यूटी से बचने के लिए 8,000 पाकिस्तानी रुपये, युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित निकलने के लिए 80,000 रुपये, और जान जोखिम में डालने वाले सैनिकों के लिए लगभग 28 लाख रुपये की राशि का प्रावधान है।
सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने गाजा में एक महत्वपूर्ण सैन्य भूमिका निभाने का प्रस्ताव रखा था। उनका लक्ष्य 20,000 सैनिकों की टुकड़ी भेजकर हमास के हथियारों को जब्त करना और क्षेत्र को स्थिर करना था, न कि इजरायल से सीधा टकराव मोल लेना। इस कदम से पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करने की मंशा थी।
हालांकि, सेना के भीतर से ही इस योजना को कड़ा विरोध झेलना पड़ा। अनेक सैनिकों ने गाजा में लड़ने से साफ मना कर दिया, इसे ‘उनका युद्ध नहीं’ बताया। साथ ही, मुस्लिम देशों के खिलाफ लड़ने की नैतिक दुविधा ने भी इस विरोध को हवा दी।
इस स्थिति से निपटने के लिए, मुनीर ने कथित तौर पर सैनिकों को $10,000 (लगभग 28 लाख रुपये) का अतिरिक्त भुगतान करने का प्रस्ताव दिया, ताकि उनका मनोबल बढ़ाया जा सके और झिझक दूर की जा सके।
परन्तु, यह योजना तब एक बड़े राजनयिक अपमान में बदल गई जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि किसी भी पाकिस्तानी सैनिक को $100 (लगभग 28,000 रुपये) से अधिक भुगतान नहीं किया जाएगा। यह प्रस्ताव पाकिस्तान के लिए बेहद अपमानजनक था, खासकर तब जब इजरायल अन्य मुस्लिम देशों को कहीं अधिक राशि की पेशकश कर रहा था।
यह $100 की सीमा, जो पहले से ही अक्षमता और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी पाकिस्तानी सेना के लिए एक बड़ा अपमान साबित हुई, ने मुनीर को एक मुश्किल स्थिति में डाल दिया। या तो उन्हें अपमानजनक शर्तों को स्वीकार कर घर पर आलोचना झेलनी पड़ती, या फिर इस अंतरराष्ट्रीय अवसर को गंवाना पड़ता, जो वे अपनी वैश्विक छवि के लिए चाहते थे।
इजरायल की ओर से इस कड़े रुख के पीछे 1971 में भारत के समक्ष पाकिस्तान की 93,000 सैनिकों की हार का संदर्भ भी था। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तानी सेना घरेलू मोर्चे पर लगातार टीटीपी और बीएलए जैसे विद्रोही समूहों से जूझ रही है, जिसमें पिछले तीन सालों में 3,000 से अधिक सैनिक मारे जा चुके हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, इजरायल का यह कदम केवल पैसों का नहीं, बल्कि पाकिस्तान की सैन्य क्षमता का आकलन था। $100 की कीमत यह दर्शाती है कि इजरायल पाकिस्तान की वास्तविक सैन्य ताकत को कितना कम आंक रहा था।
आसिम मुनीर की महत्वाकांक्षी योजना, जो उन्हें वैश्विक मंच पर स्थापित कर सकती थी, अब उपहास का विषय बन गई है। गाजा मिशन एक बड़ी कूटनीतिक विफलता साबित हुआ है, और लीक हुआ ‘रेट कार्ड’ पाकिस्तान की सेना की गिरती साख और मूल्य का प्रतीक बन गया है।
इस्लामाबाद में अधिकारी इस मुद्दे पर बोलने से बच रहे हैं, और सेना का कहना है कि ये परिचालन संबंधी मामले गोपनीय हैं। इजरायल की ओर से भी भुगतान की पुष्टि नहीं की गई है। मध्यस्थों का कहना है कि इस मामले में बातचीत काफी तनावपूर्ण रही है।
मुनीर की विदेश में ‘वीरता’ बेचने की कोशिश ने देश के भीतर सेना की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। दुनिया भर में इस घटना पर चर्चा हो रही है, और यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर पाकिस्तान की सेना की कीमत डॉलर में क्या है, और गरिमा में क्या?
