रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा भारतीय सेना की निष्ठा और संरचना पर की गई टिप्पणियों की कड़ी आलोचना की है। बिहार के बांका में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए, सिंह ने राहुल गांधी से आग्रह किया कि वह सेना को राजनीति के अखाड़े में न खींचें, क्योंकि देश के सैनिक केवल ‘सैन्य धर्म’ का निर्वहन करते हैं।
रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारतीय सेना में जाति, पंथ या धर्म का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हमारे सेना के जवानों का एक ही धर्म है, और वह है सैन्य धर्म। इसके अलावा कोई दूसरा धर्म नहीं है। भारत की सेना को राजनीति में घसीटने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।’ उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आरक्षण की पक्षधर है और इसने गरीबों के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया है।
राजनाथ सिंह ने जातिगत और सांप्रदायिक राजनीति को देश के लिए हानिकारक बताया। उन्होंने कहा, ‘जाति, संप्रदाय और धर्म की इस राजनीति ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया है। हमारा लक्ष्य है कि समाज के सभी वर्गों का उत्थान हो। हम किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करना चाहते। हमारे देश की संस्कृति ने कभी भेदभाव को स्वीकार नहीं किया।’ उन्होंने जोर दिया कि भारत की संस्कृति सभी को समान रूप से विकसित करने की रही है।
उन्होंने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंधूर’ का उल्लेख किया। सिंह ने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान बड़े पैमाने पर आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। उन्होंने कहा, ‘यह ऑपरेशन अभी रुका हुआ है, लेकिन समाप्त नहीं हुआ है। भारत अब कमजोर देश के रूप में नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। विश्व में भारत का सम्मान बढ़ा है।’ उन्होंने विश्वास दिलाया कि भविष्य में भी ऐसे अभियानों को जारी रखा जाएगा।
राहुल गांधी ने एक चुनावी रैली में कथित तौर पर कहा था कि भारतीय सेना पर देश की ‘10% आबादी का नियंत्रण’ है, जो उच्च जातियों के प्रभुत्व की ओर इशारा करता है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया था कि 90% आबादी वाले दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों का कॉर्पोरेट जगत, न्यायपालिका और प्रशासन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। राजनाथ सिंह की यह प्रतिक्रिया इसी बयान के संदर्भ में आई है।
