छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले से एक बड़ी खबर आई है, जहाँ बुधवार को 51 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर सुरक्षा बलों का दामन थाम लिया। इस समूह में 20 ऐसे नक्सली शामिल थे, जिनके ऊपर कुल 66 लाख रुपये का भारी इनाम था। नौ महिला कैडरों सहित इन नक्सलियों का आत्मसमर्पण राज्य सरकार द्वारा संचालित ‘पून मार्गेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ (सामाजिक एकीकरण हेतु पुनर्वास) पहल की सफलता को दर्शाता है।
बीजापुर के पुलिस अधीक्षक, जितेंद्र कुमार यादव के अनुसार, नक्सलियों ने सरकार की प्रभावी पुनर्वास योजनाओं और क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों को देखकर हिंसा का रास्ता छोड़ने का फैसला किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह आत्मसमर्पण राज्य के उन प्रयासों को मजबूत करता है जिनका लक्ष्य शांतिपूर्ण समाधान और विकास के माध्यम से नक्सलवाद को समाप्त करना है।
‘पून मार्गेम’ पहल, जिसे बस्तर रेंज पुलिस ने शुरू किया है, नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने और उन्हें समाज की मुख्य धारा में एकीकृत करने का एक महत्वाकांक्षी प्रयास है।
विभिन्न माओवादी इकाइयों के कैडर शामिल
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन 01 और संबंधित कंपनियों से जुड़े पांच सदस्य, एरिया कमेटी और प्लाटून के सात सदस्य, लोकल ऑर्गनाइजेशन स्क्वाड (LOS) के तीन सदस्य, एक मिलिशिया प्लाटून कमांडर, 14 मिलिशिया सदस्य और 20 अन्य निम्न-स्तरीय नक्सली शामिल थे। अधिकारियों ने यह भी बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले कई नक्सली बीजापुर और आसपास के जिलों के घने जंगलों में सक्रिय थे और विभिन्न हिंसक गतिविधियों में उनकी भूमिका रही है। उनके आत्मसमर्पण से माओवादियों की स्थानीय पकड़ कमजोर होने की प्रबल संभावना है।
‘पून मार्गेम’ की बढ़ती लोकप्रियता
बस्तर रेंज पुलिस की ‘पून मार्गेम’ नामक यह पुनर्वास योजना तेजी से सफल हो रही है। कई नक्सली अब हिंसा का रास्ता छोड़कर बेहतर जीवन जीने की चाह में आत्मसमर्पण कर रहे हैं। वे सरकार की नीतियों पर भरोसा जता रहे हैं और शांतिपूर्ण आजीविका के अवसरों की तलाश में हैं। एसपी यादव ने बताया कि 2024 की शुरुआत से अब तक केवल बीजापुर जिले में ही 650 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, वहीं 196 नक्सली मारे गए हैं और 986 को गिरफ्तार किया गया है।
