लद्दाख के बर्फीले मैदानों में भारतीय सेना ने ‘अस्त्रशक्ति’ नाम के एक बड़े युद्धाभ्यास का आयोजन किया, जिसने आधुनिक युद्ध की दिशा में देश की प्रगति को रेखांकित किया। इस अभ्यास में ऊंचाई वाले इलाकों में उन्नत हथियारों, ड्रोनों और रात के अभियानों का प्रभावी उपयोग दिखाया गया।
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जहां सांस लेना भी एक चुनौती है, उत्तरी कमान ने अपनी मारक शक्ति का प्रदर्शन ‘अस्त्रशक्ति’ युद्धाभ्यास के माध्यम से किया। इस सैन्य प्रदर्शन का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने किया, जिन्होंने जमीनी अभियानों, हवाई हमलों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं के समन्वय का प्रत्यक्ष अनुभव लिया।
‘अस्त्रशक्ति’ में सटीक मारक तोपखाने, झुंड में हमला करने वाले ड्रोन (swarm drones) और अनमैन्ड एरियल सिस्टम (UAS) के खिलाफ सुरक्षा युक्तियों का प्रदर्शन शामिल था। इसके अतिरिक्त, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के साथ मिलकर किए गए संयुक्त कमांडो अभियानों ने विभिन्न सुरक्षा बलों के बीच तालमेल को मजबूत किया, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सेना के अधिकारियों ने इसे कई युद्धक्षेत्रों में भारत की श्रेष्ठता के “शक्तिशाली प्रमाण” के रूप में वर्णित किया। अभ्यास के हर पहलू को ‘टेक्नोलॉजी मीटिंग टेनासिटी’ के उत्तरी कमान के सिद्धांत को साकार करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिसका अर्थ है कि प्रौद्योगिकी को मानवीय दृढ़ता के साथ जोड़ा गया है।
‘अस्त्रशक्ति’ युद्धाभ्यास उच्च-ऊंचाई वाले युद्धक्षेत्रों के लिए भारतीय सेना की तैयारी को पुष्ट करता है। एक बयान के अनुसार, यह ड्रिल उत्तरी कमान की “दुनिया के सबसे कठिन युद्धक्षेत्र में तत्परता, नवाचार और अदम्य भावना” को प्रदर्शित करती है।
इस अभ्यास का एक महत्वपूर्ण पहलू भारत की नई सैन्य नीति, जिसे ‘न्यू नॉर्मल’ कहा जा रहा है, का कार्यान्वयन है। मेजर जनरल मनजिंदर सिंह ने स्पष्ट किया कि इस नई रणनीति के तहत, देश के खिलाफ किसी भी आतंकी गतिविधि को सीधे युद्ध के तौर पर देखा जाएगा। सेना इस दृष्टिकोण के अनुरूप अपनी क्षमताओं को बढ़ा रही है, जिसमें रात में अधिक से अधिक प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। वर्तमान में, 70% अभ्यास रात में ही होते हैं, जिससे भारतीय सैनिकों को एक महत्वपूर्ण सामरिक लाभ मिलता है।
पूर्वी लद्दाख के बर्फीले परिदृश्य में, ‘अस्त्रशक्ति’ का शानदार प्रदर्शन, जिसमें तोपखाने की आग, रॉकेट लॉन्चरों की मारक क्षमता और ड्रोनों के झुंड शामिल थे, ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारतीय सेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। यह युद्धाभ्यास पड़ोसियों के लिए एक चेतावनी थी कि भारत अब अपनी सुरक्षा के प्रति अधिक सजग और प्रभावी हो गया है।
 
									 
					