पंजाब में धान की पराली जलाने की समस्या विकराल रूप ले रही है। गुरुवार को अकेले 202 नए मामले सामने आए, जिससे इस सीजन में अब तक कुल 1,418 घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। चिंता की बात यह है कि पिछले 10 दिनों में ही कुल मामलों का 70% हुआ है, बुधवार को तो 280 से ज्यादा घटनाएं दर्ज की गई थीं।
पंजाब के खेतों में अभी भी करीब 30% धान की फसल खड़ी है। गेहूं और आलू की फसल की बुवाई के लिए समय की कमी के कारण, किसानों के लिए पराली जलाना एक आसान विकल्प बना हुआ है, जिससे आने वाले दिनों में मामलों में और वृद्धि की आशंका है। तरन तारन जिला पराली जलाने के मामलों में सबसे आगे है, जहां अब तक 330 घटनाएं हो चुकी हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, पंजाब सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। अब तक 376 किसानों पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है, हालांकि किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। इसके अतिरिक्त, 432 किसानों के भूमि रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ की गई है और कुल 24.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जिलेवार देखें तो तरन तारन (296 मामले) शीर्ष पर है, उसके बाद अमृतसर (173) और संगरूर (170) हैं।
हालांकि, सरकार का दावा है कि 2024 की तुलना में पराली जलाने के मामलों में 49% की कमी आई है। 29 अक्टूबर तक, पिछले साल 2,356 मामले थे, जबकि 2023 में यह संख्या 5,254 और 2022 में 12,112 थी। दूसरी ओर, दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता में थोड़ा सुधार हुआ है, AQI 288 (दिल्ली) और 233 (नोएडा) दर्ज किया गया है, जो अभी भी ‘खराब’ श्रेणी में है।
 
									 
					