नई दिल्ली: हालिया सैटेलाइट इमेजरी से चीन की एलएसी (Line of Actual Control) पर सैन्य विस्तार की नई तस्वीरें सामने आई हैं। पंगोंग झील के निकट तिब्बत क्षेत्र में चीन ने कम से कम दो गुप्त मिसाइल बंकरों का निर्माण किया है। यह घटनाक्रम भारत-चीन सीमा पर तनाव को और बढ़ा सकता है, खासकर उस संवेदनशील क्षेत्र में जहाँ दोनों देशों के बीच पहले भी संघर्ष हो चुके हैं।
‘द वॉर ज़ोन’ की रिपोर्ट के अनुसार, ये नए बंकर चीन के HQ-9 मिसाइल सिस्टम के लिए बनाए गए हैं, जो लंबी दूरी के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है। यह प्रणाली पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के वायु रक्षा नेटवर्क का एक अहम हिस्सा है। HQ-9, जो रूसी S-300 मिसाइल का उन्नत संस्करण माना जाता है, हवाई खतरों, जैसे कि लड़ाकू विमानों, ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों को निष्क्रिय करने में माहिर है।
जियोस्पेशियल इंटेलिजेंस फर्म ‘ऑलसोर्स एनालिसिस’ द्वारा प्राप्त सैटेलाइट तस्वीरों में इन बंकरों की बनावट साफ दिख रही है। इनमें कंक्रीट की मजबूत दीवारें और पीछे हटने वाली छतें शामिल हैं, जो मिसाइल लॉन्चरों को सुरक्षा प्रदान करती हैं। कुछ तस्वीरों में HQ-9 मिसाइलों के ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर-लॉन्चर (TELs) भी दिखाई दिए हैं। ये निर्माण गार काउंटी और पंगोंग झील के पूर्वी छोर के पास स्थित हैं, जो भारतीय सैन्य ठिकानों के बहुत करीब हैं।
प्लैनेट लैब्स और मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा अगस्त और सितंबर में ली गई तस्वीरों से पता चलता है कि इन साइटों पर निर्माण अभी भी जारी है। प्रत्येक ठिकाने में गोला-बारूद भंडार, वाहन रखने की जगह, भूमिगत कमांड सेंटर और सैनिकों के रहने के स्थान शामिल हैं। यह इंगित करता है कि चीन इन्हें स्थायी सैन्य अड्डों के रूप में विकसित कर रहा है, न कि अस्थायी तैनाती के लिए।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन मिसाइल बंकरों की तैनाती से चीन की ‘एंटी-एक्सेस एंड एरिया डिनायल’ (A2/AD) क्षमता में वृद्धि होगी। इसका मतलब है कि चीन भारतीय वायु सेना के विमानों या ड्रोनों को अपनी सीमा के काफी अंदर आने से पहले ही निशाना बना सकेगा। गार काउंटी में एक बंकर सीधे भारत के एक हवाई अड्डे की ओर मुख किए हुए है, जो इसके सामरिक महत्व को दर्शाता है।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि चीन ने इसी तरह की संरचनाएं दक्षिण चीन सागर में भी बनाई हैं। 2017 में, स्प्रैटली द्वीपों पर और 2022 में वुडी द्वीप पर ऐसे ही मिसाइल आश्रयों की तस्वीरें सामने आई थीं। भारत की सीमा के पास इन संरचनाओं का निर्माण चीन की विस्तारवादी सैन्य रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
हालांकि चीन ने इस निर्माण पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटनाक्रम हिमालयी क्षेत्र में सैन्यीकरण को बढ़ावा देगा। यह चीन के सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के प्रयासों को दर्शाता है, जिससे भविष्य में एलएसी पर शांति स्थापित करने के प्रयास और अधिक जटिल हो सकते हैं।
 
									 
					