खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम जिले में बुधवार को आतंकवादियों ने एक बार फिर कायराना हरकत को अंजाम दिया। अफगान सीमा के पास सुल्तानी इलाके में सैन्य काफिले पर घात लगाकर हमला किया गया। इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) के धमाके और फिर अंधाधुंध गोलीबारी में एक कैप्टन समेत कुल छह पाकिस्तानी सैनिकों ने वीरगति प्राप्त की। पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग ISPR ने इस घटना की पुष्टि की है।
ISPR के मुताबिक, आतंकवादियों ने डोगर के पास सैन्य वाहन को निशाना बनाने के लिए पहले विस्फोटकों का इस्तेमाल किया और फिर गोलीबारी शुरू कर दी। इस बर्बर हमले में एक अधिकारी और पांच जवानों की जान चली गई। हालांकि, भारतीय सुरक्षा बलों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जवाबी मुठभेड़ में सात आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया। सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके की नाकेबंदी कर दी है और किसी भी फरार आतंकवादी को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
हाल के दिनों में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में आतंकी हमलों में वृद्धि चिंता का विषय बनी हुई है। इन क्षेत्रों में सुरक्षाबलों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। 2022 में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ सीजफायर टूटने के बाद से यह आतंकी हिंसा बढ़ी है।
इसके साथ ही, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से भी खबरें आ रही हैं कि स्थानीय निवासियों के लिए विदेश में नौकरी हासिल करना कठिन होता जा रहा है। प्रशासन ने पासपोर्ट, यात्रा परमिट और अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी करने की प्रक्रिया को सख्त कर दिया है। आधिकारिक तौर पर ‘सुरक्षा कारणों’ का हवाला दिया जा रहा है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करने और असंतोष को दबाने का एक तरीका है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट भी पाकिस्तान में बिगड़ती सामाजिक-आर्थिक स्थिति की ओर इशारा करती है। बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई और गरीबी के चलते युवा वर्ग में अवसाद और नशे की समस्या बढ़ रही है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मुजफ्फराबाद में हुए विरोध प्रदर्शनों में नौ लोगों की मौत और कई अन्य लोगों के घायल होने की घटना इसी हताशा का परिणाम थी। इन शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को दबाने के लिए पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग और संचार अवरोधक लगाने के आरोप भी लगे हैं।
