पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि तालिबान, जिसका जन्म पाकिस्तान की धरती पर हुआ, अब उसी पर कहर बरपा रहा है। काबुल से सीधे आदेशों के तहत, अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान ने पाकिस्तान को जीतने का मिशन शुरू कर दिया है, जिससे इस्लामाबाद में हड़कंप मच गया है।
टीटीपी प्रमुख नूर वली महसूद ने स्पष्ट किया है कि तालिबान सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा के निर्देशानुसार, पाकिस्तानी सेना को करारा जवाब देने की तैयारी है। यह घोषणा उस समय हुई जब अफगान सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला किया गया, जिसमें कई जवान शहीद हो गए। इस घटना ने पाकिस्तान की सैन्य छावनी को हिलाकर रख दिया है।
पाकिस्तान, जिसने हमेशा तालिबान को अपनी विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना, अब खुद ही उस ताकत का शिकार बन गया है। अफगान सीमा के पार से हमले और पाकिस्तान के भीतर टीटीपी की बढ़ती गतिविधियाँ, जनरल आसिम मुनीर के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सेना के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर रही हैं।
आतंकवादी कमांडर नूर वली महसूद को खैबर पख्तूनख्वा में खुलेआम घूमते और अपने लड़ाकों को पाकिस्तान पर हमला करने के आदेश देते हुए देखा गया है। यह घटना पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों की विफलता को उजागर करती है। वह खुलेआम रंगरूटों की भर्ती कर रहा है और हमले की योजना बना रहा है, जबकि सेना बेबस नजर आ रही है। इससे पता चलता है कि खैबर पख्तूनख्वा का एक बड़ा हिस्सा अब तालिबान के प्रभाव में आ गया है।
इस्तांबुल में पाकिस्तान द्वारा की गई शांति वार्ता की कोशिशें नाकाम साबित हुईं। पाकिस्तान ने अफगान तालिबान से टीटीपी जैसे आतंकवादी समूहों पर नियंत्रण के लिए मदद मांगी थी, लेकिन तालिबान ने साफ तौर पर इनकार कर दिया। बल्कि, उन्होंने पाकिस्तान को सलाह दी कि वह सीधे टीटीपी से बातचीत करे, जो पाकिस्तान के लिए एक अपमानजनक स्थिति है। पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, क्योंकि वह आतंकवादी समूहों से सीधा वार्ता नहीं करना चाहता। इससे यह साफ है कि तालिबान पाकिस्तान को उस समस्या से निपटने में कोई मदद नहीं करेगा जिसे पाकिस्तान ने खुद पैदा किया है।
हाल ही में सामने आए वीडियो फुटेज में टीटीपी लड़ाके पाकिस्तानी सेना के एक वाहन को जलाते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह घटना पाकिस्तान की सैन्य शक्ति और अधिकार पर एक सीधा हमला है। टीटीपी ने खैबर पख्तूनख्वा में कई जगहों पर चेकपोस्ट स्थापित कर रखे हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि वहां एक समानांतर सरकार चल रही है, और पाकिस्तानी सेना कुछ नहीं कर पा रही है।
एक पूर्व सीआईए अधिकारी ने यह भी खुलासा किया है कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों पर भी पूरा नियंत्रण नहीं रखता है। उनके अनुसार, लॉन्च कोड अमेरिका के पास हैं, न कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री या सेना प्रमुख के। यह खुलासा पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति को और अधिक चिंताजनक बनाता है, खासकर इस तथ्य को देखते हुए कि टीटीपी पाकिस्तानी धरती पर घुसपैठ करने में कामयाब रहा है।
यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान अपने ही बनाए जाल में फंस गया है। जिस जिहादी विचारधारा को उसने अफगानिस्तान में बढ़ावा दिया था, वह अब उसी देश को तबाह करने के लिए लौट आई है। पश्चिम से अफगान तालिबान के हमले, पाकिस्तान के भीतर टीटीपी का बढ़ता प्रभाव और विदेशी नियंत्रण वाले परमाणु हथियार, पाकिस्तान को एक अभूतपूर्व संकट की ओर धकेल रहे हैं।
तालिबान का स्पष्ट संदेश है कि वे पाकिस्तान को पूरी तरह से ध्वस्त करने से पहले रुकेंगे नहीं। ऐसे में, भारत के सैन्य अभ्यास, पाकिस्तान पर चारों ओर से दबाव बढ़ा रहे हैं। पाकिस्तान ने तालिबान को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश की, लेकिन अब तालिबान पाकिस्तान के लिए विनाश का कारण बन रहा है।
