गाजा में दो वर्षों से चल रहे युद्ध की आग अब पूरे मध्य पूर्व में फैल चुकी है, जिसने क्षेत्र के शक्ति संतुलन को पूरी तरह से बदल दिया है। लेबनान, सीरिया, ईरान और यमन जैसे देश इस विनाशकारी संघर्ष के अप्रत्यक्ष प्रभावों का सामना कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस युद्ध ने न केवल क्षेत्रीय कूटनीति को प्रभावित किया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी मध्य पूर्व को लेकर सोच में बदलाव आया है।
यह संघर्ष 7 अक्टूबर 2023 को हमास के उस अभूतपूर्व हमले से शुरू हुआ, जिसने इजरायल की सुरक्षा पर गहरा सवाल खड़े कर दिए। इस हमले में इजरायल के लगभग 1,200 नागरिक मारे गए और 251 लोगों को बंधक बनाया गया। इजरायल ने इस घटना का जवाब गाजा पट्टी पर व्यापक सैन्य कार्रवाई से दिया। इस सैन्य अभियान के कारण, गाजा में भारी तबाही मची है और हजारों फिलिस्तीनी नागरिकों की जान गई है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इन आंकड़ों को मान्यता दी गई है।
इस युद्ध का ‘डोमिनो प्रभाव’ तत्काल दिखाई दिया। इजरायल की जवाबी कार्रवाई के साथ ही, ईरान समर्थित ‘प्रतिरोध के अक्ष’ के अन्य सदस्य, जैसे लेबनान का हिजबुल्लाह और यमन के हूती, भी सक्रिय हो गए। इन समूहों ने इजरायल पर हमले किए, जिससे संघर्ष और बढ़ गया। इजरायल ने अपनी रणनीति बदलते हुए हमास के बाद हिजबुल्लाह और ईरान को भी निशाना बनाया। लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर बड़े हमले किए गए, जिसमें उसके शीर्ष नेता मारे गए और हथियार नष्ट हो गए।
इसके अलावा, सीरिया में भी एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ, जहां बशर अल-असद की सरकार का दो सप्ताह के भीतर पतन हो गया। विश्लेषकों का मानना है कि ईरान और हिजबुल्लाह की कमजोरियों ने असद सरकार के समर्थन को कम कर दिया। इजरायल ने सीरियाई सैन्य अड्डों को भी निशाना बनाया ताकि भविष्य में उत्पन्न होने वाले खतरों को रोका जा सके।
इजरायल और ईरान के बीच दशक पुरानी दुश्मनी अब सीधे सैन्य टकराव में बदल गई। अप्रैल और अक्टूबर 2024 में हुए हवाई हमलों ने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे अप्रत्यक्ष संघर्ष को सीधे युद्ध में बदल दिया। जून 2025 में, इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर किए गए हमले के कारण 12 दिनों का युद्ध छिड़ गया, जिसमें अमेरिका ने भी सहायता की। कतर ने युद्धविराम कराने में मध्यस्थता की।
इस संघर्ष ने ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव को काफी कम कर दिया है। हमास, हिजबुल्लाह और ईरान अब पहले से कहीं अधिक कमजोर स्थिति में हैं। सीरिया में असद सरकार के पतन से रूस का एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय सहयोगी छिन गया है। चीन का मध्य पूर्व में प्रभाव भी कम हुआ है, क्योंकि अमेरिका ने इस क्षेत्र में अपनी भागीदारी बढ़ाई है।
इसके विपरीत, तुर्की सीरिया के नए नेतृत्व के साथ एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में उभर रहा है, जो क्षेत्र के भविष्य को आकार देगा। मिस्र, कतर और तुर्की ने गाजा में शांति स्थापित करने और बंधकों की रिहाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कूटनीतिक दबाव के कारण इजरायल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ना पड़ा है, भले ही वह सैन्य रूप से मजबूत दिख रहा हो।
संयुक्त राष्ट्र अभी भी गाजा और वेस्ट बैंक को इजरायल के कब्जे वाले क्षेत्र मानता है। हालांकि, युद्धविराम हो गया है, लेकिन फिलिस्तीनी राज्यों की स्थापना, निरस्त्रीकरण और सुरक्षा जैसे मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं। यह स्पष्ट है कि मध्य पूर्व मौलिक रूप से बदल गया है, और अब शांति व स्थिरता की दिशा में एक नई शुरुआत की उम्मीद है।
