छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले में रविवार को शांति की एक नई किरण दिखी, जब 21 माओवादी कैडरों ने अपने हथियार पुलिस के सामने रख दिए। इनमें 13 महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने ‘पूना मार्गेम: पुनर्वास के माध्यम से पुन: एकीकरण’ नामक महत्वाकांक्षी पहल के तहत मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। यह कदम बस्तर रेंज पुलिस के समर्पण और पुनर्वास कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को रेखांकित करता है।
आत्मसमर्पण करने वालों में नक्सल आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक, डिवीजन कमेटी सचिव मुकेश भी शामिल है। समूह में चार डिवीजन कमेटी सदस्य, नौ एरिया कमेटी सदस्य और आठ कैडर निचले स्तर के थे, जो सभी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) की केशकॉल डिवीजन (नॉर्थ सब-जोनल ब्यूरो) के कुमरी/किस्कोडो एरिया कमेटी से जुड़े थे।
पुलिस को सौंपे गए हथियारों की सूची काफी महत्वपूर्ण है, जिसमें तीन एके-47, दो INSAS राइफलें, चार एसएलआर राइफलें, छह .303 राइफलें, दो सिंगल-शॉट राइफलें और एक बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (BGL) शामिल हैं। इन हथियारों की बरामदगी से क्षेत्र में सुरक्षा बलों की स्थिति मजबूत हुई है।
हाल के समय में बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद के खिलाफ यह एक बड़ी सफलता है। इससे पहले, अक्टूबर में ही जगदलपुर और बीजापुर में सैकड़ों नक्सलियों ने सामूहिक रूप से आत्मसमर्पण किया था, जो इस बात का संकेत है कि नक्सली संगठन अब कमजोर हो रहे हैं और उनके कैडर सरकारी पहलों से प्रभावित होकर मुख्यधारा में लौट रहे हैं।
