गाजा में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा मध्यस्थता किए गए संघर्ष विराम ने पश्चिम एशिया में अमेरिका की स्थिति को काफी मजबूत किया है और क्षेत्र की भू-राजनीतिक समीकरणों को बदल दिया है। इस शांति समझौते ने जहां अमेरिका का प्रभाव बहाल किया है, वहीं चीन और रूस की प्रत्यक्ष भूमिका को सीमित कर दिया है। अमेरिका की दीर्घकालिक योजना के तहत, अब्राहम एकॉर्ड्स के ज़रिए इज़राइल और अरब देशों के बीच संबंध मज़बूत हुए हैं, और इसी कड़ी में भारत को ‘I2U2’ (इंडिया, इज़राइल, यूएस, यूएई) समूह के माध्यम से पश्चिम एशिया के एक नए बहुध्रुवीय ढांचे में शामिल किया गया है।
सितंबर 2023 में G20 शिखर सम्मेलन में घोषित इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) भारत के लिए एक अभूतपूर्व आर्थिक और रणनीतिक अवसर लेकर आया है। इस कॉरिडोर को स्वेज़ नहर के एक प्रमुख विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, जो भारत को सीधे पश्चिम एशिया और यूरोप से जोड़ने का काम करेगा।
हाल के वर्षों में इज़राइल, फिलिस्तीन और ईरान के बीच हुए संघर्षों ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना में बाधाएं उत्पन्न की थीं। लेकिन, गाजा में वर्तमान शांति पहल ने अमेरिकी नेतृत्व को पुनर्जीवित किया है, जिससे भारत के लिए वैश्विक व्यापार और रणनीतिक गठबंधनों में अपनी भूमिका निभाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
यह IMEC कॉरिडोर चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को कड़ी टक्कर दे सकता है। इस परियोजना के सफल होने पर, भारतीय बंदरगाह सीधे यूरोप के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों से जुड़ जाएंगे, जिससे भारतीय कंपनियों के लिए पेशेवर सेवाओं की मांग और निवेश के नए द्वार खुलेंगे। G7 देशों की आगामी बैठकों में भी इस कॉरिडोर की पश्चिम एशिया में स्थिरता लाने और भारत के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने की क्षमता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
गाजा में शांति का माहौल स्थापित होने से पश्चिम एशिया में स्थिरता आएगी, जिसका सीधा लाभ भारत को मिलेगा। अमेरिका के नेतृत्व में क्षेत्रीय देशों के बीच सहयोग बढ़ेगा, जबकि चीन और रूस की दखलंदाजी कम होगी। अब्राहम एकॉर्ड्स और I2U2 जैसे समूह भारत की बढ़ती क्षेत्रीय महत्ता को और बल देंगे। IMEC कॉरिडोर यूरोप के बाजारों तक पहुंचने के लिए न केवल तेज बल्कि अधिक कुशल और कम बाधाओं वाले समुद्री मार्ग भी प्रदान करेगा।
पश्चिम एशिया में अमेरिकी प्रभाव का विस्तार वर्षों की सोची-समझी कूटनीति का परिणाम है। अमेरिका ने खाड़ी देशों के साथ संबंध मज़बूत करने, इज़राइल-अरब देशों के बीच सुलह कराने (अब्राहम एकॉर्ड्स) और भारत को I2U2 जैसे समूहों में शामिल करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं, ताकि उसके हितों की रक्षा हो सके।
गाजा में शांति स्थापित होने के बाद अब IMEC कॉरिडोर के विकास की राह आसान हो गई है। भारत इस परियोजना में एक प्रमुख भागीदार के रूप में उभरेगा, जो आर्थिक और रणनीतिक दोनों तरह की भूमिकाओं का निर्वहन करेगा। इससे भारत में निवेश में वृद्धि होगी, कुशल पेशेवरों की मांग बढ़ेगी, और पश्चिम एशिया व यूरोप के साथ भारत के आर्थिक संबंध और भी गहरे होंगे।
IMEC मार्ग भारत को चीन के BRI के मुकाबले एक सशक्त रणनीतिक विकल्प के रूप में स्थापित करता है। इस कॉरिडोर से व्यापार में भारी वृद्धि होगी, भारत के बंदरगाह सीधे फ्रांस, इटली और अन्य यूरोपीय देशों से जुड़ेंगे, और पश्चिम एशिया में भारत का आर्थिक व रणनीतिक प्रभाव अभूतपूर्व रूप से बढ़ेगा।
खाड़ी देशों द्वारा गाजा शांति योजना का समर्थन इस कॉरिडोर के सफल कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण है। उम्मीद है कि सभी सरकारें इसमें पूरा सहयोग करेंगी। भारत को अब यूरोप के लिए एक विश्वसनीय और सुगम समुद्री मार्ग उपलब्ध हो जाएगा।
G7 शिखर सम्मेलन के दौरान IMEC को एक प्रमुख वैश्विक प्राथमिकता के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा इज़राइल पर किए गए हमले के बाद, इस कॉरिडोर की अहमियत और भी स्पष्ट हो गई थी। ट्रम्प की शांति पहल ने क्षेत्र में स्थिरता लाई है, जिसने IMEC को आर्थिक और रणनीतिक विकास के लिए एक आवश्यक उपकरण बना दिया है। गाजा में शांति सीधे तौर पर भारत को व्यापार, निवेश और पेशेवर अवसरों के मामले में लाभान्वित करेगी।
यह कॉरिडोर भारत के लिए आर्थिक और रणनीतिक दोनों ही मोर्चों पर बड़े लाभ का सौदा साबित होगा। अमेरिका, खाड़ी देशों और यूरोपीय सहयोगियों के समर्थन से यह परियोजना भारत की क्षेत्रीय स्थिति को मज़बूत करेगी और दीर्घकालिक आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी।
