प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले सप्ताह मलेशिया में होने वाले आसियान (ASEAN) शिखर सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से भाग न लेने का फैसला किया है। इस निर्णय के पीछे मुख्य रूप से भारत की घरेलू राजनीतिक मजबूरियां और अमेरिका के साथ जारी व्यापार वार्ता में अनिश्चितता को कारण बताया जा रहा है।
26 से 28 अक्टूबर तक चलने वाले इस महत्वपूर्ण आयोजन में, प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच एक बहुप्रतीक्षित द्विपक्षीय बैठक की उम्मीद थी, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापारिक मतभेदों के बीच आयोजित होनी थी।
**घरेलू प्राथमिकताएं और त्योहारों का मौसम**
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री का ध्यान वर्तमान में देश के भीतर चल रही महत्वपूर्ण गतिविधियों पर केंद्रित है। बिहार में आसन्न विधानसभा चुनाव सरकार के लिए सर्वोपरि हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री अगले सप्ताह होने वाले छठ महापर्व के उत्सवों में शामिल हो सकते हैं, जो विशेष रूप से बिहार और पूर्वी भारत का एक प्रमुख पर्व है।
हालांकि, यह पुष्टि की गई है कि प्रधानमंत्री मोदी 26 अक्टूबर को भारत-आसियान शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे, लेकिन यह संबोधन वर्चुअल माध्यम से होगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर 27 और 28 अक्टूबर को होने वाली पूर्वी एशिया शिखर बैठक (East Asia Summit) में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
**व्यापार समझौते में गतिरोध ने मुलाकात पर डाली बाधा**
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर कोई ठोस नतीजा न निकलना, प्रधानमंत्री की यात्रा को स्थगित करने का एक अहम कारण बना। हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच बातचीत का दौर चला है, जिसमें वाणिज्य सचिव की अमेरिका यात्रा और दोनों नेताओं के बीच फोन पर हुई बातचीत शामिल है। इन प्रयासों के बावजूद, किसी भी महत्वपूर्ण प्रगति के संकेत नहीं मिले हैं, जिससे उच्च-स्तरीय बैठक की संभावना कम हो गई।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प 26 अक्टूबर को कुआलालंपुर पहुंचने के बाद जापान जाएंगे।
**भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध: एक तनातनी भरा दौर**
अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए 25% आयात शुल्क और रूसी तेल की खरीद पर भी इसी तरह का शुल्क लगाने के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। इन शुल्कों ने भारतीय सामानों की अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिसके कारण अगस्त माह के अंत में बातचीत को रोक दिया गया था।
सितंबर के मध्य में, भारतीय अधिकारियों और अमेरिकी सहायक व्यापार प्रतिनिधि के बीच नई दिल्ली में हुई बैठक के बाद व्यापार वार्ताएं फिर से शुरू हुईं। तब से, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच तीन बार फोन पर वार्ता हुई है। अमेरिकी राजदूत-मनोनीत सर्जियो गोर ने भी दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के उद्देश्य से नई दिल्ली की यात्रा की थी।
**मंगलवार की बातचीत: अलग-अलग बयानों का सिलसिला**
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने मंगलवार को राष्ट्रपति मोदी के साथ व्यापार के मुद्दे पर चर्चा की थी और पुनः इस बात पर जोर दिया कि भारत “रूस से बहुत कम तेल खरीदेगा”।
इसके विपरीत, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस बातचीत का उल्लेख करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने उन्हें दिवाली की शुभकामनाएं दी थीं और दोनों देशों ने हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बात कही थी। इस घोषणा में व्यापारिक मुद्दों का कोई जिक्र नहीं था।