जम्मू और कश्मीर की बुदगाम और नग्रोटा विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए नामांकन का दौर सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को समाप्त हो गया। चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, 11 नवंबर 2025 को मतदान होगा, जिसके परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। नामांकन पत्रों की जांच 22 अक्टूबर को होगी और नाम वापसी की आखिरी तारीख 24 अक्टूबर है।
ये उपचुनाव मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा बुदगाम सीट खाली करने और नग्रोटा के भाजपा विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन के कारण हो रहे हैं। बुदगाम सीट पर 6 उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि नग्रोटा में 4 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
बुदगाम में, जो एक शिया-बहुमत वाली सीट है और जिसे पारंपरिक रूप से नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) का गढ़ माना जाता है, इस बार एक ही प्रभावशाली ‘आगा’ परिवार के बीच राजनीतिक जंग देखने को मिल रही है। एनसी ने वरिष्ठ नेता आगा सैयद महमूद को टिकट दिया है, जबकि पीडीपी ने अलगाववादी पृष्ठभूमि से आए आगा मुंतजिर को मैदान में उतारा है, जो आगा महमूद के भतीजे हैं। इस प्रकार, यह एक हाई-प्रोफाइल ‘आगा बनाम आगा’ मुकाबला बन गया है। इस परिवार का सियासत पर गहरा प्रभाव रहा है, जिसका संबंध अंजुमन-ए-शारिये शियान जैसी संस्थाओं से भी है, जो इस तनाव को और बढ़ाता है।
इसके अतिरिक्त, एनसी के सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी, जो इसी परिवार के सदस्य हैं, आरक्षण नीतियों जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चल रहे विवादों के कारण अपने “अंतरात्मा और सिद्धांतों” का हवाला देते हुए एनसी उम्मीदवार के लिए प्रचार करने से दूर रहे हैं।
दूसरी ओर, नग्रोटा सीट पर महिलाओं के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। एनसी ने डीडीसी विजेता शमीमा फिरदौस को भाजपा की देवयानी राणा (दिवंगत विधायक देवेंद्र सिंह राणा की बेटी) के खिलाफ उतारा है। यह मुकाबला महिलाओं के नेतृत्व में हो रहा है, जो चुनाव प्रचार का एक अहम हिस्सा बन गया है। देवयानी राणा अपनी पारिवारिक विरासत और भाजपा के संगठनात्मक समर्थन के साथ चुनाव लड़ रही हैं, वहीं शमीमा फिरदौस अपने जमीनी अनुभव और एनसी के क्षेत्रीय प्रभाव पर भरोसा कर रही हैं।
नग्रोटा सीट, जो पूर्व में भाजपा का मजबूत गढ़ रही है, अब दिवंगत विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन के बाद एक महत्वपूर्ण मुकाबले का मैदान बन गई है। एनसी द्वारा शमीमा फिरदौस को उम्मीदवार बनाने का निर्णय 20 अक्टूबर 2025 को लिया गया, जिसके बाद उन्होंने एनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला के निर्देश पर नामांकन दाखिल किया। यह सीधा मुकाबला देवयानी राणा के खिलाफ है, जिससे इस उपचुनाव में महिला नेतृत्व का एक महत्वपूर्ण पहलू उभर कर सामने आया है।
एनसी के सहयोगी दल कांग्रेस ने इस उपचुनाव में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है। हालांकि, राज्यसभा सीट बंटवारे को लेकर गठबंधन के भीतर संभावित मतभेद मतदाताओं के रुख को प्रभावित कर सकते हैं। 11 नवंबर को होने वाले मतदान और 14 नवंबर को घोषित होने वाले परिणामों का इंतजार रहेगा। यह उपचुनाव भाजपा के जम्मू क्षेत्र पर प्रभाव और एनसी की उस सीट पर वापसी की कोशिश का परीक्षण करेगा, जिसे उसने 2014 में आखिरी बार जीता था। कांग्रेस के चुनाव से हटने से एनसी को विपक्षी वोटों का लाभ मिल सकता है, लेकिन कुछ कांग्रेस समर्थकों को पार्टी से दूर करने का जोखिम भी है। संभावना है कि एनसी शासन और विकास के मुद्दों को उठाएगी, जबकि भाजपा दिवंगत देवेंद्र सिंह राणा की विरासत और भावनात्मक अपीलों पर जोर दे सकती है।