दिल्ली की हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है, और इसका एक बड़ा कारण पंजाब में फसल अवशेष जलाने की बढ़ती घटनाएं हैं। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से 19 अक्टूबर तक राज्य भर में पराली जलाने के 308 मामले दर्ज किए गए हैं। इन घटनाओं में तरन तारन जिला सबसे आगे है, जहाँ 113 किसानों ने अपने खेतों में आग लगाई है। इसके बाद अमृतसर का स्थान आता है, जहाँ 104 मामले सामने आए हैं।
यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि पंजाब और हरियाणा में फसल अवशेष जलाने को दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में स्मॉग के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता है। खरीफ फसलों की कटाई के बाद, किसानों के पास गेहूं की बुवाई के लिए बहुत कम समय होता है। इस जल्दबाजी में, वे अक्सर खेतों को जल्दी साफ करने के लिए पराली जला देते हैं।
PPCB डेटा के अनुसार, 15 सितंबर से 19 अक्टूबर के बीच पंजाब में कुल 308 फार्म फायर की घटनाएं हुईं। यह संख्या 11 अक्टूबर के 116 मामलों से काफी अधिक है, जो एक चिंताजनक वृद्धि का संकेत है। अन्य जिलों जैसे फिरोजपुर (16 मामले), पटियाला (15 मामले) और गुरदासपुर (7 मामले) में भी पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
प्रशासनिक कार्रवाई के तौर पर, 132 मामलों में 6.5 लाख रुपये से अधिक का पर्यावरण मुआवजा लगाया गया है, जिसमें से 4.70 लाख रुपये वसूले जा चुके हैं। इसके अलावा, 147 FIR भी दर्ज की गई हैं, जिसमें तरन तारन (61) और अमृतसर (37) प्रमुख हैं। इन किसानों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत कार्रवाई की जा रही है।
हालांकि राज्य सरकार फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मशीनरी और वैकल्पिक तरीकों को बढ़ावा दे रही है, लेकिन किसान अभी भी पराली जलाने की प्रथा को नहीं छोड़ रहे हैं। पिछले वर्षों की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है, 2024 में केवल 10,909 मामले सामने आए, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 36,663 था। पिछले दशकों में यह संख्या कहीं अधिक रही है।