मोरक्को के रेगिस्तानी इलाकों में एक अविश्वसनीय दृश्य देखने को मिलता है – बकरियां पेड़ों पर चढ़ रही हैं! ये जीव मानो गुरुत्वाकर्षण को धता बताते हुए, आर्गन के पेड़ों की ऊँची डालियों पर संतुलन साधते हैं और वहां लगे स्वादिष्ट फलों का आनंद लेते हैं। यह कोई जादुई करतब नहीं, बल्कि जीवित रहने की एक अनूठी रणनीति है, जो मोरक्को के बेशकीमती आर्गन जंगल के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
ये अद्भुत दृश्य सू स घाटी के आर्गन वृक्षों के आसपास ही देखे जा सकते हैं। शुष्क मौसम में, जब ज़मीन पर चारे की भारी कमी हो जाती है, तो बकरियां इन पेड़ों पर आठ से दस मीटर की ऊंचाई तक चढ़ने को मजबूर हो जाती हैं। उनके खुरों की बनावट और शरीर का संतुलन उन्हें इन पतली डालियों पर भी सुरक्षित रखता है, जिससे वे उन फलों तक पहुँच पाती हैं जो ज़मीन से दूर हैं।
इस प्रक्रिया का एक और महत्वपूर्ण पहलू है। आर्गन फल के अंदर एक सख्त गिरी होती है, जिसमें नए पेड़ उगने की क्षमता होती है और यही गिरी विश्व प्रसिद्ध आर्गन तेल का स्रोत भी है। बकरियां इन गिरियों को पचा नहीं पातीं। वे या तो इन्हें गिरा देती हैं या अपने मल के साथ बाहर निकाल देती हैं। इस प्रकार, ये गिरियां मिट्टी में मिलकर नए आर्गन के पौधों को जन्म देती हैं, जिससे मरुस्थलीय परिस्थितियों में जंगल का विस्तार होता है। इस तरह, ये बकरियां अनजाने ही ‘वन संवर्धन’ का कार्य करती हैं।
स्थानीय किसान इस प्राकृतिक प्रक्रिया से भली-भांति परिचित हैं। बकरियों द्वारा फल खा लेने के बाद, वे गिरे हुए बीजों (गिरियों) को इकट्ठा करते हैं। इन गिरियों से निकला तेल आज दुनिया भर में सौंदर्य और खान-पान का एक अहम हिस्सा बन चुका है।
तो, अगली बार जब आप बकरियों के पेड़ पर चढ़ने की बात सुनें, तो समझ लें कि यह सिर्फ़ एक अनोखापन नहीं, बल्कि एक नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और एक मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन को बनाए रखने का एक प्राकृतिक तरीका है। ये अनोखी बकरियां न केवल अपना पेट भरती हैं, बल्कि अनजाने में ही आर्गन के जंगल को जीवित रखने में मदद करती हैं।