नई दिल्ली: वैश्विक मंच पर अमेरिकी टैरिफ (शुल्क) के जाल ने कई देशों को परेशान कर रखा है। ऐसे में, भारत के लिए इस मुश्किल से निकलने का सबसे कारगर रास्ता अमेरिका के साथ एक व्यापार समझौता करना है। हाल ही में, इस दिशा में सकारात्मक संकेत मिले हैं और भारत का एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल इस हफ्ते अमेरिका पहुँच रहा है ताकि फरवरी में शुरू हुई वार्ताओं को आगे बढ़ाया जा सके। इस विकास से जुड़े एक सूत्र ने पुष्टि की है कि ‘भारतीय टीम इस सप्ताह अमेरिका का दौरा करेगी।’
यह यात्रा दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को मजबूत करने और टैरिफ संबंधी अड़चनों को दूर करने के लिए चल रही बातचीत का एक महत्वपूर्ण चरण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हालिया बातचीत को बेहद सफल बताया जा रहा है। दोनों नेताओं ने फरवरी में ही अपने अधिकारियों को इस डील को अंतिम रूप देने के निर्देश दिए थे, जिसका पहला चरण 2025 की शरद ऋतु तक पूरा होना था।
अब तक हुई पांच दौर की बातचीत के बाद, विशेषज्ञों का मानना है कि डील ‘सही रास्ते’ पर है और ‘सफलता नज़दीक’ है। अब इंतज़ार इस बात का है कि यह समझौता कब आकार लेगा।
चीन के साथ तनाव के बीच भारत की भूमिका अहम:
फिलहाल, अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव गहरा रहा है, ऐसे में अमेरिका भारत के समर्थन को अहम मान रहा है।
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव ने चीन द्वारा दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों की तीखी आलोचना की है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश चीन को इस तरह से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को नियंत्रित नहीं करने देंगे।
उन्होंने इस कदम को ‘वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर सीधा हमला’ बताते हुए कहा कि यह ‘चीन बनाम शेष विश्व’ की लड़ाई है। अमेरिका इस मुद्दे पर भारत सहित अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करने की योजना बना रहा है।
पिछ्ले महीने, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने न्यूयॉर्क में अमेरिकी अधिकारियों के साथ व्यापार वार्ता की थी। इन वार्ताओं के बाद, दोनों देशों ने एक फायदेमंद व्यापार समझौते पर आगे बढ़ने पर सहमति जताई थी।
गोयल ने इस दौरान यू.एस. ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) जेम्स ग्रीर और भारत में अमेरिकी राजदूत पद के उम्मीदवार सर्जियो गोर के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की थी।
टैरिफ में कमी की संभावना:
यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका ने भारत के रूस से तेल खरीदने के फैसले के जवाब में भारतीय उत्पादों पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। इसके अतिरिक्त 25% के जुर्माने के साथ, भारतीय निर्यात पर कुल टैरिफ अब 50% तक पहुँच गया है। ऐसे में, एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता इन टैरिफ बाधाओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इस संभावित समझौते का लक्ष्य 2030 तक भारत-अमेरिका व्यापार को मौजूदा 191 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 500 बिलियन डॉलर तक पहुँचाना है। 2024-25 में, अमेरिका लगातार चौथे वर्ष भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा, जिसका कुल व्यापार 131.84 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें 86.5 बिलियन डॉलर का भारतीय निर्यात शामिल है।
वर्तमान में, भारत के कुल माल निर्यात का लगभग 18% अमेरिका को होता है, जबकि आयात का 6.22% और समग्र व्यापार का 10.73% हिस्सा अमेरिका से है। यह प्रस्तावित व्यापार समझौता भारत की वैश्विक व्यापार रणनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध और सुदृढ़ होंगे, साथ ही रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।