पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर हालिया हिंसक झड़पों के मद्देनजर, सऊदी अरब की भूमिका चर्चा का विषय बन गई है। विशेष रूप से, सितंबर 2025 में हस्ताक्षरित पाकिस्तान के साथ सऊदी अरब का रक्षा समझौता महत्वपूर्ण है। इस सौदे के तहत, किसी एक देश पर हमला दोनों पर हमला माना जाएगा, जो पाकिस्तान के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करता है। यह भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण विकास के रूप में देखा जा रहा है।
जहां सऊदी अरब ने सार्वजनिक रूप से दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने और बातचीत में शामिल होने का आग्रह किया है, वहीं यह रक्षा समझौता उसे पाकिस्तान के लिए एक रणनीतिक संरक्षक के रूप में स्थापित करता है। हालांकि सऊदी अरब ने अफगानिस्तान के खिलाफ सैन्य हस्तक्षेप का कोई संकेत नहीं दिया है, समझौते ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस्लामाबाद का समर्थन करने के लिए तैयार है, खासकर यदि संघर्ष बढ़ता है।
सऊदी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि “साम्राज्य पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव और संघर्षों को चिंता के साथ देख रहा है।” मंत्रालय ने “आत्म-संयम” और “संवाद” पर जोर देते हुए कहा कि यह क्षेत्र में तनाव को कम करने और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। मंत्रालय ने यह भी दोहराया कि सऊदी अरब “शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने वाले सभी क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करता है” और “भाईचारे वाले पाकिस्तानी और अफगान लोगों के लिए स्थिरता और समृद्धि” सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस बीच, अफगानिस्तान ने दावा किया है कि उसने जवाबी कार्रवाई में 58 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और कई सीमा चौकियां अपने कब्जे में ले लीं। यह दावा पाकिस्तान द्वारा बार-बार की जाने वाली क्षेत्रीय उल्लंघन के जवाब में की गई एक “प्रतिकारी और सफल” कार्रवाई के रूप में प्रस्तुत किया गया। अफगान रक्षा मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि वे अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और किसी भी उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब देंगे।
यह सीमा संघर्ष पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव का हिस्सा है। पाकिस्तान अक्सर अफगानिस्तान पर टीटीपी जैसे समूहों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करने का आरोप लगाता रहा है, जो पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे में, सऊदी अरब के साथ हुआ यह नया रक्षा सौदा पाकिस्तान की सुरक्षा रणनीति का एक अहम हिस्सा बन गया है।