नई दिल्ली में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुताक्की की सफल यात्रा और भारत-अफगानिस्तान के बीच जारी संयुक्त बयान पर पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। शनिवार को इस्लामाबाद ने अफगानिस्तान के राजदूत को तलब किया और संयुक्त बयान के उन अंशों पर आपत्ति दर्ज कराई, जिनमें जम्मू और कश्मीर को भारत का हिस्सा माना गया है और अफगानिस्तान ने अपनी जमीन का भारत के विरुद्ध उपयोग न होने देने का वादा किया है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस संयुक्त बयान को “अत्यधिक असंवेदनशील” बताते हुए कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के खिलाफ है और “भारतीय अवैध कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर” के लोगों की भावनाओं को आहत करता है। पाकिस्तान ने मांग की कि कश्मीर का उल्लेख भारत के अभिन्न अंग के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
**कश्मीर मुद्दा: पाकिस्तान का बार-बार का एजेंडा**
पाकिस्तान का जम्मू और कश्मीर पर भारत के रुख का विरोध कोई नई बात नहीं है। दशकों से, इस्लामाबाद कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानने के भारत के रुख को चुनौती देता रहा है। हालाँकि, भारत का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है। संयुक्त बयान ने केवल इसी स्थापित तथ्य को दोहराया।
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने कहा, “हमने स्पष्ट किया है कि जम्मू और कश्मीर को भारत का हिस्सा बताने वाला संयुक्त बयान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करता है। यह उन लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है जो भारतीय अवैध कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में अपने आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।”
पाकिस्तान के इस रुख को तब और भी आलोचनात्मक दृष्टि से देखा जा रहा है, जब वह स्वयं कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा जमाए बैठा है।
**आतंकवाद: पाक का दोहरा मापदंड उजागर**
एक और चौंकाने वाला पहलू अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुताक्की के उस बयान पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया थी, जिसमें उन्होंने आतंकवाद को पाकिस्तान की आंतरिक समस्या करार दिया था। पाकिस्तान ने इस पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि उसने अफगान धरती से संचालित हो रहे आतंकवादी समूहों, जिन्हें वह “फितना-ए-ख्वारीज” और “फितना-ए-हिंदुस्तान” कहता है, के बारे में भारत को बार-बार सबूत दिए हैं।
पाकिस्तान के अनुसार, “अफगानिस्तान में मौजूद कुछ तत्वों की मदद से अफगान भूमि का उपयोग पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है।” पाकिस्तान ने ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
**भारत-अफगानिस्तान कूटनीतिक तालमेल से चिंता**
अफगानिस्तान के साथ भारत के बढ़ते कूटनीतिक और रणनीतिक संबंधों से पाकिस्तान की चिंताएं स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं। 10 अक्टूबर को जारी हुआ यह संयुक्त बयान, विशेष रूप से, दोनों देशों के बीच सहयोग के नए आयामों को दर्शाता है। बयान में आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त लड़ाई, क्षेत्रीय स्थिरता और अफगानिस्तान की संप्रभुता का सम्मान करने पर जोर दिया गया।
यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत ने काबुल में अपना दूतावास सक्रिय रखने और तकनीकी मिशन को पूर्ण दूतावास का दर्जा देने का निर्णय लिया है, जो अफगानिस्तान के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूती प्रदान करता है। यह कदम पाकिस्तान के लिए एक बड़ा कूटनीतिक झटका माना जा रहा है।