पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर शहर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ ओड़िशा की एक MBBS छात्रा के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है। पुलिस ने इस संबंध में तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें गैंगरेप और सामूहिक अपराध शामिल हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान गुप्त रखी गई है।
**घटना का पूरा ब्यौरा**
पीड़िता, जो 23 साल की है और ओड़िशा के जलेश्वर की रहने वाली है, दुर्गापुर के शिवपुर स्थित आईक्यू सिटी मेडिकल कॉलेज में पढ़ती है। शुक्रवार की रात लगभग 8:30 बजे, वह अपने एक दोस्त के साथ खाना खाने के लिए कॉलेज के बाहर निकली थी। आरोप है कि इसी दौरान, कॉलेज गेट के पास खड़े कुछ युवकों के एक समूह ने उन्हें रोका। उन्होंने छात्रा को उसके दोस्त से अलग किया, उसे पास के एक सुनसान जंगली इलाके में घसीट कर ले गए और वहां उसके साथ बर्बरतापूर्वक गैंगरेप किया। वारदात को अंजाम देने के बाद सभी आरोपी मौके से फरार हो गए।
**राष्ट्रीय महिला आयोग की दखल**
इस गंभीर अपराध पर राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने संज्ञान लिया है। आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर मामले की तत्काल जांच, दोषियों की गिरफ्तारी और पीड़िता को हर संभव सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है। NCW की एक अन्य पदाधिकारी, अर्चना मजूमदार, स्वयं दुर्गापुर आकर पीड़िता से मुलाकात करेंगी और पुलिस की की जा रही कार्रवाई की समीक्षा करेंगी। आयोग ने पांच दिनों के भीतर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने की मांग की है।
**पुलिस की कार्रवाई और आश्वासन**
पश्चिम बंगाल पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि पीड़िता की स्थिति स्थिर है और उसके परिवार को हर तरह की मदद दी जा रही है। पुलिस ने आम लोगों से भी आग्रह किया है कि वे किसी भी तरह की अफवाहों या गलत सूचनाओं को न फैलाएं। अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि वे महिलाओं की सुरक्षा के प्रति गंभीर हैं और इस जघन्य अपराध में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
**राजनीतिक हल्कों में हड़कंप**
इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने पश्चिम बंगाल सरकार से इस मामले में कठोर कार्रवाई करने की मांग की है। दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘अपरजिता एंटी-रेप बिल’ जैसे कानूनों को पारित करने में हो रही देरी उनकी राजनीतिक मंशा पर सवाल उठाती है।