अमेरिका और चीन के बीच चला आ रहा व्यापार युद्ध अब एक अभूतपूर्व मोड़ पर आ खड़ा हुआ है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की है कि 1 नवंबर, 2025 से, चीन से आयात होने वाले सभी सामानों पर 100% अतिरिक्त शुल्क (टैरिफ) लगाया जाएगा। यह प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया चीन द्वारा महत्वपूर्ण दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (rare earth elements) पर लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों के जवाब में आई है। इस कदम से चीनी उत्पादों की लागत में भारी वृद्धि होगी।
ट्रम्प ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर यह भी स्पष्ट किया कि यह 100% टैरिफ मौजूदा शुल्कों के ऊपर होगा। इसके साथ ही, अमेरिका चीन से महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर और विमान के पुर्जों के निर्यात पर भी रोक लगाएगा।
चीन के दुर्लभ पृथ्वी प्रतिबंधों ने बढ़ाई तनातनी
इस व्यापारिक टकराव का मूल कारण चीन का हालिया फैसला है, जिसने दुनिया भर में चिंता पैदा कर दी है। चीन ने उन महत्वपूर्ण दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं, जो आधुनिक तकनीक, विशेष रूप से स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन और रक्षा प्रणालियों के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। चीन वैश्विक दुर्लभ पृथ्वी प्रसंस्करण के बाजार में 90% हिस्सेदारी रखता है, जिससे उसे इन महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति को नियंत्रित करने की अद्वितीय क्षमता प्राप्त है।
चीन ने न केवल अपनी प्रतिबंधित सूची में 5 नए तत्वों को जोड़ा है, बल्कि खनन, शोधन और चुंबक निर्माण जैसी पूरी मूल्य श्रृंखला को भी अपने नियंत्रण में ले लिया है। ट्रम्प ने इस कदम को “अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के इतिहास में पूरी तरह से अभूतपूर्व” और “नैतिक रूप से निंदनीय” बताया है।
दुर्लभ पृथ्वी तत्व: आधुनिक जीवन की नींव
दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का महत्व आज के तकनीकी युग में अत्यधिक है। इनका उपयोग न केवल उन्नत हथियारों और रक्षा प्रणालियों में होता है, बल्कि उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कि मोबाइल फोन, लैपटॉप, टेलीविजन और ऑडियो उपकरणों के निर्माण में भी यह अहम भूमिका निभाते हैं। स्वच्छ ऊर्जा क्रांति के लिए भी ये अपरिहार्य हैं, जैसे इलेक्ट्रिक कारों की मोटर, पवन टरबाइन और सौर पैनल।
चीन का दुर्लभ पृथ्वी प्रसंस्करण पर एकाधिकार वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए एक गंभीर जोखिम पैदा करता है, और अब चीन ने इसी शक्ति का प्रदर्शन किया है।
100% टैरिफ का सीधा असर
ट्रम्प का 100% टैरिफ का ऐलान सीधा जवाबी हमला है। इसका मतलब है कि यदि कोई चीनी उत्पाद पहले $1,000 का था, तो अब वह मौजूदा शुल्कों के अतिरिक्त $2,000 का हो जाएगा। यह अमेरिकी व्यवसायों और उपभोक्ताओं पर सीधा आर्थिक बोझ डालेगा, जिससे कई आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू सकती हैं। यह कदम दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को और अधिक अलग-थलग कर सकता है।
कूटनीतिक वार्ता में अनिश्चितता
टैरिफ की घोषणा से ठीक पहले, ट्रम्प ने संकेत दिया था कि चीन के “शत्रुतापूर्ण” निर्यात नियंत्रणों के कारण चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी प्रस्तावित बैठक शायद न हो। यह हाल के महीनों में बढ़ते तनाव को दर्शाता है, खासकर एपीईसी शिखर सम्मेलन से पहले। हालांकि, बाद में ट्रम्प ने स्पष्ट किया कि बैठक पूरी तरह से रद्द नहीं हुई है, लेकिन इसकी संभावना कम है।
चीन ने अपने कार्यों को राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों के संरक्षण के रूप में उचित ठहराया है, जो कि अमेरिका द्वारा चीन पर सेमीकंडक्टर निर्यात को प्रतिबंधित करने के औचित्य से मिलता-जुलता है।
आर्थिक युद्ध का नया आयाम
यह स्थिति अब मात्र व्यापारिक मतभेद से कहीं अधिक हो गई है; यह दो वैश्विक महाशक्तियों के बीच एक आर्थिक युद्ध का रूप ले चुकी है। अमेरिका अपनी तकनीकी बढ़त (जैसे सेमीकंडक्टर) और चीन अपनी खनिज संपदा (दुर्लभ पृथ्वी) का उपयोग एक-दूसरे को रणनीतिक रूप से कमजोर करने के लिए कर रहा है।
यह व्यापार टकराव के एक नए, अधिक गंभीर चरण की शुरुआत है, जहाँ दोनों देश अपने आर्थिक हितों के लिए बड़े जोखिम उठाने को तैयार दिख रहे हैं।
1 नवंबर के बाद क्या उम्मीद करें?
यदि चीन अपने रुख पर कायम रहता है, तो अमेरिकी बाजार में 1 नवंबर के बाद महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं:
* इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और अन्य उपभोक्ता उत्पादों की कीमतों में भारी वृद्धि।
* कंपनियां वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की तलाश करेंगी, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है।
* चीन की ओर से जवाबी व्यापारिक या कूटनीतिक कदम उठाए जा सकते हैं।
* चीन के बाहर दुर्लभ पृथ्वी उत्पादन को बढ़ावा देने के वैश्विक प्रयासों में तेजी आएगी।
* दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो जाएंगे।
ट्रम्प के शब्दों में, “यह अविश्वसनीय है कि चीन ने ऐसा कदम उठाया, लेकिन उन्होंने उठाया है, और अब इतिहास लिखा जाएगा।” 1 नवंबर वह तारीख है जब इस आर्थिक अलगाव का अगला अध्याय शुरू होगा।