फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने राजनीतिक अनिश्चितता के बीच सेबेस्टियन लेकॉर्नू को फिर से प्रधानमंत्री नियुक्त कर देश को चौंका दिया है। यह फैसला लेकॉर्नू के अचानक इस्तीफे के कुछ दिनों बाद आया है, जब उन्होंने अपनी नई सरकार की घोषणा की थी। मैक्रों की इस चाल को उनके कमजोर पड़ते राष्ट्रपति कार्यकाल को बचाने के अंतिम प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जो 2027 में समाप्त होगा।
राष्ट्रपति भवन ‘एलिसी पैलेस’ ने एक संक्षिप्त बयान में लेकॉर्नू की पुनर्नियुक्ति की पुष्टि की। लेकॉर्नू ने खुद सोशल मीडिया पर कहा कि वह देश की सेवा के लिए यह जिम्मेदारी स्वीकार कर रहे हैं। उनका मुख्य लक्ष्य ‘साल के अंत तक देश के लिए बजट पारित करवाना और आम नागरिकों की समस्याओं का समाधान करना’ है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार में शामिल होने वालों को 2027 के राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की उम्मीद छोड़नी होगी, क्योंकि सरकार ‘नयापन और विभिन्न क्षेत्रों की विशेषज्ञता’ को प्राथमिकता देगी। लेकॉर्नू का मानना है कि ‘इस राजनीतिक संकट का अंत होना चाहिए, जो फ्रांसीसी लोगों में निराशा पैदा कर रहा है और देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल कर रहा है’।
फ्रांस की राजनीति पिछले कुछ समय से अस्थिरता के दौर से गुजर रही है। लेकॉर्नू का इस्तीफा गठबंधन के भीतर की खींचतान का नतीजा था, जिसने राष्ट्रपति मैक्रों पर भारी दबाव डाला था। हालांकि, मैक्रों ने इस्तीफा देने या संसद भंग करने की मांग को खारिज कर दिया और नई सरकार बनाने के लिए लेकॉर्नू पर भरोसा जताया।
विपक्षी दलों ने इस कदम पर सवाल उठाए हैं। ‘द इकोलॉजिस्ट्स’ पार्टी की नेता मरीन टोंडेलियर ने कहा कि राष्ट्रपति अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं और उनकी कठोरता बढ़ती जा रही है। कई नेताओं को आशंका है कि नेशनल असेंबली में लेकॉर्नू के नेतृत्व वाली सरकार को बहुमत मिलना मुश्किल होगा, जिससे राजनीतिक गतिरोध जारी रहेगा।
फ्रांस की अर्थव्यवस्था गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। सार्वजनिक कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 114% पार कर चुका है, जो 3.346 ट्रिलियन यूरो (लगभग 3.9 ट्रिलियन डॉलर) तक पहुंच गया है। इसके अलावा, 2023 में देश की गरीबी दर बढ़कर 15.4% हो गई, जो 1996 के बाद का उच्चतम स्तर है। इन आर्थिक और सामाजिक मुद्दों से निपटना लेकॉर्नू की नई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।