हाल ही में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के करीब हवाई हमले करके क्षेत्र में अस्थिरता को और बढ़ाया है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के निर्देश पर की गई इस कार्रवाई का मुख्य निशाना टीटीपी कमांडर नूर वली महसूद को बताया जा रहा था, जिस पर ओराकजई में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर हुए आतंकी हमले का आरोप था।
लेकिन, पाकिस्तान के दावों के विपरीत, टीटीपी ने तत्काल नूर वली महसूद का एक ऑडियो जारी कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने जीवित होने की पुष्टि की और हमलों की खबरों को खारिज कर दिया। इस घटनाक्रम ने पाकिस्तान के अफगानिस्तान में अपने ‘काउंटर-टेररिज्म’ अभियानों की प्रभावशीलता पर सवालिया निशान लगा दिया है, और इसे जनरल मुनीर की एक बड़ी रणनीतिक भूल के रूप में देखा जा रहा है।
काबुल में तालिबान सरकार ने इस पाकिस्तानी सैन्य कार्रवाई की तीखी आलोचना की है। तालिबान ने इसे अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता का घोर उल्लंघन बताया है और पाकिस्तान को “नागरिकों की मौत की कीमत” चुकाने की चेतावनी दी है। इस हमले से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो गए हैं।
वहीं, अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा के दौरान, भारत ने अफगानिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। नई दिल्ली ने काबुल में अपना दूतावास पुनः खोलने की घोषणा भी की है, जो तालिबान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पाकिस्तान के घरेलू मोर्चे पर भी हालात गंभीर हैं। गाजा मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन कर रहे कट्टरपंथी समूह टीएलपी के मार्च को रोकने के लिए सरकार ने इस्लामाबाद और रावलपिंडी में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक टकराव की खबरें आ रही हैं, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा पर दबाव बढ़ गया है।