बच्चों की दुखद मौतों ने भारत में दवा सुरक्षा प्रणालियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मध्य प्रदेश में ज़हरीले कफ सिरप, कोल्ड्रिफ, के सेवन से लगभग 20 मासूमों की जान जाने के बाद, केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दवाओं के निर्माण और वितरण में अत्यधिक सावधानी बरतने का निर्देश दिया है। इसमें कच्चे माल से लेकर अंतिम उत्पाद तक, हर चरण में कठोर गुणवत्ता नियंत्रण और बैच परीक्षण अनिवार्य कर दिया गया है।
**खतरनाक मिलावट का खुलासा**
जांचों से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं कि बच्चों की मौत का कारण बने कोल्ड्रिफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मात्रा इतनी ज़्यादा थी कि यह सहनशीलता की सीमा को लगभग 500 गुना पार कर गई। यह ज़हरीला तत्व गुर्दों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है, और इस मामले में कम से कम छह अन्य बच्चों की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। चिंताजनक बात यह है कि सिरप के कुछ बैच उन बच्चों को भी बेचे गए थे जिनके लिए यह निर्धारित नहीं था।
**अधिकारियों पर गिरी गाज, निर्माता पर केस**
जनता के बढ़ते दबाव के बीच, मध्य प्रदेश सरकार ने मामले में बड़ी कार्रवाई की है। राज्य के दो ड्रग निरीक्षकों और एक उप निदेशक को निलंबित कर दिया गया है, जबकि राज्य के ड्रग नियंत्रक का तबादला किया गया है। उन पर लापरवाही के गंभीर आरोप हैं। इस पूरे मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है। सिरप बनाने वाली तमिलनाडु की कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। साथ ही, छिंदवाड़ा के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी, जिनके क्लिनिक से सिरप जब्त हुआ था, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके क्लिनिक को सील कर दिया गया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हालांकि कहा है कि असली समस्या कंपनी की ओर से बरती गई चूक और दवा नियामक प्रणाली की कमज़ोरी है।
**गुणवत्ता मानकों का सख्ती से पालन**
DGHS ने ड्रग्स नियमों के तहत राज्य दवा नियंत्रकों की जिम्मेदारियों को याद दिलाया है। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि दवा के हर बैच का परीक्षण हो और निर्माता विस्तृत रिकॉर्ड रखें। यह स्पष्ट किया गया है कि बिना प्री-रिलीज़ टेस्टिंग के किसी भी बैच को बाजार में उतारने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही, सामग्री की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नियमित निरीक्षण और विक्रेताओं का सत्यापन भी आवश्यक है।
**देशव्यापी गुणवत्ता अभियान**
स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुणवत्ता संबंधी खामियों का पता लगाने के लिए छह राज्यों में दवा निर्माण इकाइयों का विशेष निरीक्षण शुरू किया है। राजस्थान ने जहां सुरक्षित दवा उपयोग पर जागरूकता अभियान चलाया है, वहीं बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक सिरप पर चेतावनी लेबल लगाए हैं। उत्तर प्रदेश में कंपनी के दूषित बैचों को ज़ब्त किया गया, और महाराष्ट्र में भी ज़हरीले रसायन पाए जाने के बाद एक विशिष्ट बैच की बिक्री पर रोक लगा दी गई है।
**जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया**
बच्चों की मौत की खबर से पूरे देश में गुस्सा है। विपक्षी दलों ने सरकार से जवाबदेही मांगी है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के कामकाज पर भी सवाल उठाए हैं। स्वास्थ्य नियामक द्वारा जारी यह निर्देश, दवा सुरक्षा प्रणाली में जनता का विश्वास फिर से जगाने के लिए हाल के वर्षों में सबसे कड़े कदमों में से एक है।