भारतीय नौसेना को आज एक नया युद्धपोत, आईएनएस अंद्रोथ मिला, जिसे विशाखापत्तनम नौसेना डॉकयार्ड में शामिल किया गया। यह एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (एएसडब्ल्यू-एसडब्ल्यूसी) श्रेणी का दूसरा जहाज है। अंद्रोथ का शामिल होना भारत की नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो स्वदेशीकरण को बढ़ावा देता है।
जीआरएसई द्वारा निर्मित इस जहाज में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की प्रगति को दर्शाता है। आईएनएस अंद्रोथ दुश्मन की पनडुब्बियों को नष्ट करने में सक्षम है, जिससे नौसेना की ताकत में वृद्धि होगी। यह विशेष रूप से तटीय और उथले जल क्षेत्रों में पनडुब्बी खतरों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इस जहाज का नाम लक्षद्वीप के अंद्रोथ द्वीप पर रखा गया है। पहले भी आईएनएस अंद्रोथ (P69) ने 27 साल तक देश की सेवा की थी। अंद्रोथ में आधुनिक हथियार और सेंसर लगे हैं, जो समुद्री निगरानी, तटीय सुरक्षा और बचाव कार्यों में मदद करेंगे। इस नए युद्धपोत के शामिल होने से भारतीय नौसेना की क्षमता में वृद्धि होगी, जो भारत की समुद्री सीमाओं को सुरक्षित रखने में सहायक होगा।