विश्व कप का एक और अध्याय, भारत और पाकिस्तान का एक और मैच, और नतीजा फिर वही पुराना। 1992 में पुरुषों के विश्व कप से शुरू हुई यह परंपरा आज भी बरकरार है और महिला विश्व कप में भी यह कहानी दोहराई जाती रही है। ICC महिला विश्व कप 2025 में भी भारत और पाकिस्तान के मैच का वही नतीजा देखने को मिला जो 2022 में आया था, और 2009 से लगातार जारी है। टीम इंडिया ने महिला विश्व कप में लगातार 5वीं बार पाकिस्तान को हराया। इस बार टीम इंडिया की जीत की कहानी 22 साल की उस खिलाड़ी ने लिखी जो अपना पहला ही विश्व कप खेल रही है, और जिसे कुछ साल पहले क्रिकेट खेलने से रोकने की कोशिश की जा रही थी।
टीम इंडिया की 22 साल की तेज गेंदबाज क्रांति गौड ने पाकिस्तान के खिलाफ इस मैच में अपनी गेंदबाजी से कहर बरपाया। उन्होंने टीम इंडिया की बल्लेबाजी के दौरान भी योगदान दिया, जब 49वें ओवर में इस युवा खिलाड़ी ने एक चौका लगाया और 50वें ओवर में गेंद को बाउंड्री तक पहुंचाया। लेकिन क्रांति का असली कमाल गेंदबाजी में देखने को मिला, और उन्होंने इसमें ज्यादा समय नहीं लगाया।
रेणुका सिंह के साथ नई गेंद शेयर करते हुए क्रांति ने शुरू से ही पाकिस्तानी बल्लेबाजों को बांधे रखा। 8वें ओवर में क्रांति ने सदफ शमस को आउट कर पहला विकेट लिया, फिर 12वें ओवर में आलिया रियाज को पवेलियन भेजा। टीम इंडिया को अगले विकेट के लिए 16 ओवर का इंतजार करना पड़ा, और यह सफलता मध्य प्रदेश की इस पेसर ने दिलाई।
जब पाकिस्तानी साझेदारी बढ़ रही थी, तो कप्तान हरमनप्रीत कौर ने क्रांति को दोबारा गेंद थमाई, और इस गेंदबाज ने पहली ही गेंद पर नतालिया परवेज को आउट कर दिया। क्रांति ने 10 ओवर में सिर्फ 20 रन दिए और 3 विकेट झटके। इतने शानदार प्रदर्शन के लिए क्रांति गौड को पहली बार विश्व कप में प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला।
क्रांति की कहानी भारत की लाखों-करोड़ों महिलाओं की तरह है, जिनके काम करने पर सवाल उठाए गए। वे उन हजारों लड़कियों में से एक हैं जिन्हें खेल, खासकर क्रिकेट खेलने के लिए ताने सुनने पड़े। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के एक गांव से आने वाली क्रांति अपने 6 भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं, लेकिन वर्तमान में अपने गांव का नाम सबसे ज्यादा रोशन कर रही हैं। एक समय था जब क्रिकेट चुनने पर उन्हें और उनके परिवार को गांव के लोगों की बातें सुननी पड़ती थीं। उन्हें यह तक कहा जाता था कि लड़की होकर वह क्रिकेट क्यों खेल रही हैं।
क्रांति को अपने परिवार का पूरा समर्थन मिला, तब भी जब उनके पुलिसकर्मी पिता की नौकरी चली गई थी। क्रांति ने अपने गांव के बड़े भाइयों को क्रिकेट खेलते, खासकर तेज गेंदबाजी करते देखा, और इसे अपना जुनून बना लिया, जिसके बाद क्रिकेट सीखने की शुरुआत हुई। क्रांति ने एक लोकल टूर्नामेंट में भी शानदार प्रदर्शन किया था।
एक इंटरव्यू में क्रांति ने बताया कि लोकल टूर्नामेंट में लड़कियों की 2 टीमें थीं, जिनमें से एक में खिलाड़ी कम थे। क्रांति भी मैच देखने गई थीं और किसी ने उनसे खेलने के लिए कहा। मना करने का कोई सवाल ही नहीं था और जो हुआ, उसने सभी को चौंका दिया। क्रांति ने मैच में 3 विकेट लिए और 25 रन बनाए, और प्लेयर ऑफ द मैच बनीं। इसके बाद एक एकेडमी चलाने वाले कोच राजीव बिलठारे ने क्रांति की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें उस खिलाड़ी में बदला जिसने कोलंबो में पाकिस्तान को हरा दिया।
