शहबाज शरीफ सरकार पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में जारी अशांति को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सुलह के लिए एक कमेटी भेजी गई है और सेना को भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
हालांकि, सवाल यह है कि क्या इससे पीओके का बवाल शांत होगा? आइए इस पूरे मामले पर विस्तार से नजर डालते हैं।
**पीओके में अशांति के कारण**
पाकिस्तान कश्मीर पब्लिक एक्शन कमेटी 38 मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही है। मुख्य मांग है कि पीओके विधानसभा में प्रवासियों के लिए आरक्षित 12 सीटों को समाप्त किया जाए। इसके अलावा, नेताओं के वीआईपी कल्चर को खत्म करने की भी मांग है।
इसकी दो मुख्य वजहें हैं: पहली, पीओके विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 27 सीटों की आवश्यकता होती है, और प्रवासियों के लिए आरक्षित 12 सीटें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। दूसरी, पीओके में पाकिस्तान सरकार की योजनाएं धीमी गति से चलती हैं और सीमा पर होने के कारण यहां अशांति बनी रहती है, जिससे लोगों का जीवन कठिन हो जाता है।
**क्या बवाल थमेगा?**
फिलहाल, ऐसा नहीं लगता। प्रदर्शनकारियों ने मांगें पूरी होने तक विरोध जारी रखने का फैसला किया है, और मुजफ्फराबाद में शवों के साथ प्रदर्शन शुरू कर दिया गया है।
प्रवासी समुदाय के नेताओं का कहना है कि उन्हें बंटवारे के बाद ये सीटें मिली थीं, और यदि उन्हें वापस लिया गया तो वे विरोध करेंगे।
2017 के आंकड़ों के अनुसार, पीओके में प्रवासियों की आबादी 25 लाख और मूल निवासियों की 27 लाख है, जिससे पाकिस्तान सरकार मुश्किल में फंस गई है।