छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की रजत जयंती समारोह में राज्यपाल रमेन डेका ने कहा कि न्याय तक पहुंच सभी के लिए सुनिश्चित होनी चाहिए, खासकर गांव, गरीब और आम लोगों के लिए। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बुनियादी ढांचे और संसाधनों को बेहतर बनाने और समय पर न्याय प्रदान करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। समारोह में रजत जयंती पर आधारित एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
यह कार्यक्रम राज्यपाल रमेन डेका की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उपमुख्यमंत्री अरुण साव, विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, विधि मंत्री गजेंद्र यादव और पूर्व राज्यपाल रमेश बैस भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
राज्यपाल डेका ने इस अवसर पर कहा कि यह उनके लिए सम्मान की बात है कि वे छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की रजत जयंती समारोह को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के साथ न्याय के क्षेत्र में हुए नए प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय संविधान का संरक्षक, नागरिक अधिकारों का रक्षक और न्याय का प्रहरी रहा है। राज्यपाल ने लोक अदालतों के माध्यम से मामलों के त्वरित समाधान की सराहना की और लंबित मामलों को कम करने और त्वरित न्याय प्रदान करने की बात कही।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार अपनी स्थापना की रजत जयंती मना रही है, और उच्च न्यायालय की रजत जयंती भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने विधानसभा की रजत जयंती वर्ष पर भी बधाई दी। उन्होंने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा बिलासपुर शहर को दी गई पहचान को स्वीकार किया और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सरकार बुनियादी ढांचे और संसाधनों को बेहतर बनाने के साथ समय पर न्याय प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने विधि एवं विधायी विभाग के बजट में वृद्धि का उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने सर्वोच्च न्यायालय में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंग्रेजों के समय की दंड संहिता को बदलकर भारतीय न्याय संहिता लागू की, जिसमें न्याय पर अधिक जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी लोगों के लिए आधुनिक तकनीकी बदलावों को शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसमें फॉरेंसिक विज्ञान भी शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेके माहेश्वरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, और न्यायपालिका को अगले 25 वर्षों में कहां देखना चाहते हैं, इस पर विचार करने का समय है।
केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने कहा कि यह न्यायपालिका के 25 वर्षों की यात्रा का उत्सव है और उस परंपरा का सम्मान है जिसने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने न्याय को सुलभ बनाने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और तकनीक को अपनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने स्वागत भाषण दिया और सभी अतिथियों और उपस्थित लोगों को बधाई दी। उन्होंने पिछले 25 वर्षों में अदालत द्वारा किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। समारोह के अंत में जस्टिस संजय के अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।