बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले, एनडीए सरकार ने राज्य की महिलाओं के लिए ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ शुरू की है। इस योजना के तहत, 75 लाख महिलाओं को सीधे उनके बैंक खातों में 10,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। सरकार का मानना है कि राज्य में महिलाओं की बड़ी आबादी है और वे एनडीए के लिए महत्वपूर्ण मतदाता हैं।
इस योजना का लक्ष्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है। हर परिवार की एक महिला को 10,000 रुपये की शुरुआती सहायता दी जाएगी, जिसके बाद 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिल सकती है। महिलाएं कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प, सिलाई और अन्य छोटे उद्योगों में काम कर सकती हैं।
योजना के तहत, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा। महिलाओं के उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण हाट-बाजारों का विकास किया जाएगा।
यह योजना डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से संचालित की जा रही है, जिससे पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचेगा। डीबीटी से पारदर्शिता बढ़ती है और भ्रष्टाचार कम होता है।
यह भी देखा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार इस योजना के माध्यम से बिहार में अपनी वापसी की उम्मीद कर रही है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भी इस तरह की योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनसे चुनाव में बीजेपी को लाभ मिला है। नीतीश कुमार ने पहले भी महिलाओं के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि स्थानीय निकायों में आरक्षण और नौकरियों में आरक्षण।