झारखंड के कोडरमा जिले के झुमरी तिलैया में स्थित गुमो का दुर्गा मंदिर अपनी विशेष पूजा विधि और बलि प्रथा के लिए प्रसिद्ध है। यहां नवरात्रि के दौरान 3000 से अधिक बकरों की बलि दी जाती है, जो एक 600 साल पुरानी परंपरा है। मंदिर में पूरे नौ दिनों तक कलश स्थापना से लेकर नवमी तक बलि देने का विधान है। दुर्गाष्टमी पर पूर्वजों द्वारा लिखित मंत्रों की पुस्तिका से विशेष पाठ किया जाता है, जिसे केवल पूजा के दौरान खोला जाता है और फिर सुरक्षित रखा जाता है। 1400 ईस्वी में राजा रतन साई और मर्दन साई ने यहां पूजा शुरू की थी, लेकिन उन्हें अपनी रियासत छोड़नी पड़ी। उन्होंने पूजा-पाठ की जिम्मेदारी अपने कुल पुरोहितों को सौंपी। वर्तमान में, यह पूजा दुर्गा मंडप में होती है, जहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सतघरवा परिवार और अन्य परिवार मंदिर की देखभाल करते हैं। नवरात्रि के पहले दिन राजा गढ़ में पहली बलि दी जाती है, इसके बाद दुर्गा मंडप में बलि का कार्यक्रम होता है। अष्टमी और नवमी को राजा गढ़ में सुबह 4 से 6 बजे तक बलि दी जाती है, जिसमें कुल 3000 से अधिक बकरों की बलि चढ़ाई जाती है।
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