सुप्रीम कोर्ट ने सिविल मामलों में FIR दर्ज करने के बढ़ते मामलों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कोर्ट ने कहा कि अदालतों और पुलिस को रिकवरी एजेंट के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि सिविल मामलों को आपराधिक मामले में बदलना अस्वीकार्य है। जस्टिस सूर्यकांत और एन. के. सिंह की बेंच ने कहा कि पुलिस को केस के नेचर को समझना होगा।
कोर्ट ने सुझाव दिया कि हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए जो रिटायर्ड जिला जज हो, ताकि पुलिस को यह तय करने में मदद मिल सके कि कोई मामला सिविल है या आपराधिक। कोर्ट ने कहा कि अगर भविष्य में इस तरह के मामले सामने आए तो पुलिस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी की धमकी देकर विवादों को सुलझाने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए। कोर्ट ने पहले भी इस बात पर जोर दिया है कि सिविल विवादों को आपराधिक मामले में बदलने की कोशिश निंदनीय है।