डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन ने H-1B वीज़ा की फीस में भारी बढ़ोतरी की है, जिससे अमेरिका में काम करने का सपना देखने वाले भारतीय पेशेवरों पर गहरा असर पड़ने की आशंका है। 21 सितंबर से लागू इस फैसले के तहत, H-1B वीज़ा के लिए 1 लाख डॉलर का शुल्क देना होगा, जो पहले 2,000 से 5,000 डॉलर के बीच था।
इस शुल्क वृद्धि का उद्देश्य अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां सुरक्षित रखना बताया जा रहा है। हालांकि, इससे सबसे अधिक प्रभावित होने वालों में भारतीय शामिल हैं, क्योंकि H-1B वीज़ा प्राप्त करने वालों में उनकी संख्या सबसे अधिक है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, 60% से अधिक भारतीय H-1B वीज़ा धारकों की सालाना आय इस नई शुल्क से भी कम है।
विश्लेषण से पता चला है कि अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों को अन्य देशों के मुकाबले औसतन कम वेतन मिलता है। 2024 में, भारतीय H-1B कर्मचारियों का औसत वेतन 95,500 डॉलर था, जो सभी देशों में सबसे कम है।
लगभग 60% भारतीय H-1B कर्मचारियों की सालाना आय 1 लाख डॉलर से कम थी। वहीं, गैर-भारतीय कर्मचारियों का औसत वेतन 1 लाख डॉलर से अधिक था।
यह भी देखा गया कि भारतीय कर्मचारियों का वेतन पाकिस्तानी और नेपाली कर्मचारियों से थोड़ा अधिक था।
H-1B वीज़ा उन कंपनियों को अनुमति देता है जो विशेष क्षेत्रों, जैसे कि प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और चिकित्सा में विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करना चाहती हैं। 2024 में H-1B वीज़ा धारकों में भारतीयों की हिस्सेदारी 71% थी।